छोटे एयरपोर्ट पर एयरलाइनों को मिलेगी शुल्कों से राहत
कम व्यस्त रूटों पर हवाई यातायात को बढ़ावा देने के लिए सरकार छोटे हवाई अड्डों पर सभी तरह के शुल्कों की वसूली पर रोक लगाने पर विचार कर रही है। इससे एयरलाइनों की लागत घटेगी और वे छोटे शहरों के लिए उड़ानें बढ़ाने को प्रेरित होंगी। विमानन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, बड़े शहरों के बीच उड़ा
By Edited By: Updated: Tue, 11 Feb 2014 09:50 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कम व्यस्त रूटों पर हवाई यातायात को बढ़ावा देने के लिए सरकार छोटे हवाई अड्डों पर सभी तरह के शुल्कों की वसूली पर रोक लगाने पर विचार कर रही है। इससे एयरलाइनों की लागत घटेगी और वे छोटे शहरों के लिए उड़ानें बढ़ाने को प्रेरित होंगी।
विमानन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, बड़े शहरों के बीच उड़ानों में दिनोंदिन बढ़ोतरी हो रही है। मगर छोटे शहरों के लिए हवाई यातायात लगभग स्थिर है। ऐसा इन रूटों की उड़ानों के लिए कम यात्री मिलने और आमदनी के मुकाबले ज्यादा लागत के कारण होता है। यही वजह है कि सार्वजनिक क्षेत्र की एयर इंडिया को छोड़कर बाकी निजी एयरलाइनें ऐसे रूटों पर उड़ानों से बचती हैं। पढ़ें : हवाई यात्रियों के लिए 'दूसरा मौका', इस बार 30 फीसद की छूट क्षेत्रीय स्तर पर बेहतर हवाई इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित होने के बावजूद उड़ानों में बढ़ोतरी न होने के कारणों का अध्ययन कराए जाने पर पता चला है कि एयरलाइनें इन हवाई अड्डों पर वसूले जाने वाले एयरपोर्ट डेवलपमेंट शुल्क, पार्किग शुल्क जैसे विविध शुल्कों को लेकर नाखुश हैं। यदि इनमें कमी कर दी जाए या इन्हें पूरी तरह खत्म कर दिया जाए तो एयरलाइनों की लागत घटेगी और वे कुछ हद तक मुनाफा भी कमाने की स्थिति में होंगी। इसी आधार पर अब मंत्रालय इन हवाई अड्डों पर अनावश्यक शुल्कों को खत्म करने पर विचार कर रहा है।
पढ़ें : भारत की विमानन ग्रेडिंग घटाने पर अड़ा एफएए क्षेत्रीय उड़ानों को लेकर एयरलाइनों की दूसरी समस्या कनेक्टिंग उड़ानों को लेकर है। बड़े विमानों के कारण कोई भी एयरलाइन सीधे छोटे शहरों को उड़ान शुरू करने की स्थिति में नहीं हैं। यहां के लिए कम यात्री होने से छोटे विमानों का उपयोग ही वित्तीय रूप से कारगर होता है।
पढ़ें : एयर एशिया इंडिया के किराये होंगे सबसे कम इस समस्या से निपटने के लिए मंत्रालय शेड्यूल्ड एयरलाइनों की सेवाओं को चार्टर्ड सेवाएं उपलब्ध कराने वाली नॉन शेड्यूल्ड एयरलाइनों की सेवाओं के साथ संबद्ध करना चाहता है। इसके लिए दोनों तरह की एयरलाइनों को आपस में कोड शेयरिंग की इजाजत दी जा सकती है। इस व्यवस्था के लागू होने पर शेड्यूल्ड एयरलाइनें बड़े शहरों तक यात्रियों को पहुंचाएंगी। उससे आगे छोटे शहर तक की कनेक्टिंग फ्लाइट उसकी कोड साझेदार नॉन शेड्यूल्ड एयरलाइन उपलब्ध कराएगी। यदि यह योजना कामयाब हुई तो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलूर, चेन्नई, अहमदाबाद, गुवाहाटी जैसे बड़े शहरों से कानपुर, आगरा, गोरखपुर, इंदौर, भोपाल, कोच्चि, सूरत जैसे शहरों के लिए हवाई सफर अपेक्षाकृत सस्ता और आसान हो जाएगा।