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900 मेगाह‌र्ट्ज की होड़, बोली 58300 करोड़ रुपये तक पहुंची

2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी सोमवार को दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर गई। प्रीमियम

By Edited By: Updated: Tue, 11 Feb 2014 09:38 AM (IST)
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नई दिल्ली। 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी सोमवार को दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर गई। प्रीमियम 900 मेगाह‌र्ट्ज बैंड के लिए टेलीकॉम कंपनियों में जोरदार होड़ देखने को मिल रही है। अब तक नीलामी का 49वां दौर पूरा हो चुका है। इसके साथ ही सरकार को 58,332 करोड़ रुपये की बोली मिल चुकी थी। यह राशि रिजर्व प्राइस के आधार पर स्पेक्ट्रम की कुल कीमत से 21.7 फीसद ज्यादा है।

टेलीकॉम सचिव एमएफ फारुकी ने बताया कि 900 मेगाह‌र्ट्ज स्पेक्ट्रम के लिए 23,589.62 करोड़ रुपये की बोली मिली है। यह रिजर्व प्राइस से 85 फीसद ज्यादा है। माना जा रहा है कि इस बैंड में सीमित स्पेक्ट्रम होने और रिलायंस जियो के नीलामी में आने से बोली ऊपर जा रही है। वहीं, 1800 मेगाह‌र्ट्ज बैंड में अधिक स्पेक्ट्रम उपलब्ध होने की वजह से इसमें ज्यादा होड़ नहीं है।

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वोडाफोन, रिलायंस जियो इन्फोकाम व भारती एयरटेल 900 मेगाह‌र्ट्ज में आक्त्रामक तरीके से बोली लगा रही है। वोडाफोन के लिए दिल्ली, मुंबई व कोलकाता में 900 मेगाह‌र्ट्ज स्पेक्ट्रम हासिल करना जरूरी है। वहीं भारती एयरटेल के लिए दिल्ली व कोलकाता में इस बैंड का स्पेक्ट्रम बरकरार रखना जरूरी है। दोनों कंपनियों के लाइसेंस इसी साल नवंबर में खत्म हो रहे हैं।

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इन सर्किलों में परिचालन जारी रखने के लिए उन्हें किसी भी सूरत में स्पेक्ट्रम हासिल करना होगा। वहीं, मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो इन सर्किलों में स्पेक्ट्रम हासिल करने की पुरजोर कोशिश कर रही है। वोडाफोन और एयरटेल 900 मेगाह‌र्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम हासिल करने में विफल रहती हैं तो उन्हें अपने ढांचे को 1800 मेगाह‌र्ट्ज में स्थानांतरित करना होगा। इससे उन पर काफी बोझ पड़ेगा।

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नीलामी के सातवें दिन 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए कुल 34,743.2 करोड़ रुपये की बोली मिल चुकी है। रिजर्व प्राइस के आधार पर यह स्पेक्ट्रम की कुल कीमत का 98.8 फीसद है। अभी तक कि बोली के जो आंकड़े आए हैं उससे सरकार को स्पेक्ट्रम बिक्री से चालू वित्त वर्ष में 17,262.66 करोड़ रुपये मिलना तय हो गया है।