जेटली ने दिए संकेत, ज्यादा आक्रामक नहीं होगी कर नीति
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश को कम लागत का विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए उचित व तर्कसंगत कर नीति का वादा किया है। उन्होंने रविवार को कहा कि कर नीति करदाताओं के साथ 'अधिक आक्रामक' नहीं होगी।
By Murari sharanEdited By: Updated: Sun, 09 Nov 2014 07:26 PM (IST)
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश को कम लागत का विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए उचित व तर्कसंगत कर नीति का वादा किया है। उन्होंने रविवार को कहा कि कर नीति करदाताओं के साथ 'अधिक आक्रामक' नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन करेगी, बेशक इस मुद्दे पर उसे विपक्ष का सहयोग न मिले। सरकार का इरादा अर्थव्यवस्था में भरोसा कायम करने का है।
जेटली ने यहां भारत वैश्विक मंच की बैठक को संबोधित करते हुए उम्मीद जताई कि लंबे समय से अटका बीमा कानून संशोधन विधेयक संसद के आगामी शीत सत्र में पारित हो जाएगा। इसमें बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआई] की सीमा 26 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने का प्रावधान है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियां हैं। ऐसे में एक उचित व तर्कसंगत कर नीति की जरूरत है। यह करदाताओं के साथ बहुत अधिक आक्रामक नहीं हो सकती। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि भारत ऊंचे कर वाला देश नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा कि कर विभाग उस सिद्धांत का पालन कर रहा है, जिसमें जिनको कर देना है, वे कर जरूर अदा करें और जिन पर कर नहीं बनता, उन्हें भुगतान करने के लिए परेशान न किया जाए। जेटली ने कहा- 'हमें यह बात समझ में आई है कि विनिर्माण क्षेत्र हमारे समक्ष ब़़डी चुनौतियों में से एक है। हमें अंतत: भारत को एक कम लागत वाला विनिर्माण केंद्र बनाना है।' बदलने होंगे अधिग्रहण कानून
भूमि अधिग्रहण कानून के बारे में जेटली ने कहा- 'इस कानून में कुछ बदलाव आवश्यक हैं। पहले हम सहमति बनाने का प्रयास करेंगे और यदि यह संभव नहीं होता है तो भी हम आगे बढेंगे और फैसला लेंगे।' उन्होंने कहा कि देश में स्मार्ट शहरों के विकास की अवधारणा को मूर्तरूप देने के लिए भी भूमि संबंधी कानूनों के कारण पैदा अ़़डचनें दूर करनी होंगी। ये बदलाव हैं संभव ग्रामीण विकास मंत्रालय पहले ही जमीन अधिग्रहण कानून में कई संशोधनों का सुझाव दे चुका है, जिससे सार्वजनिक- निजी भागीदारी वाली परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण को लेकर कम से कम 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों की सहमति तथा निजी परियोजनाओं के लिए 80 प्रतिशत लोगों की सहमति जैसे प्रावधान हल्के होंगे। ..तो ब़़ढा सकेंगे वृद्धि दर
वित्त मंत्री ने कहा- 'अर्थव्यवस्था चुनौतीपूर्ण स्थिति में थी और अभी भी है। हमारे समक्ष प्रमुख चुनौती भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति भरोसा कायम करने की है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को विस्तार दिया जा सके और वृद्घि दर को ब़़ढाया जा सके। उन्होंने कहा कि अगले साल वृद्घि दर कुछ बेहतर रहेगी। यदि यही रख जारी रहता है, तो भारत जल्द ऊंची वृद्घि की राह पर लौट सकता है। जीएसटी में संशोधन जेटली ने संकेत दिया कि वस्तु एवं सेवा कर [जीएसटी] पर संशोधनों को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार की इस मुद्दे पर राज्यों के साथ बातचीत अंतिम चरण में है। संसद का एक महीने का शीतकालीन सत्र 24 नवंबर से शुरू हो रहा है।पढ़े- राजनीति से दूर होंगे सरकार बैंक