भाजपा नेता विजय गोयल ने कहा प्रवेश परीक्षा से मिले डीयू में दाखिला
भाजपा नेता विजय गोयल ने प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) मेंं दाखिले की मांग की है।
By Amit MishraEdited By: Amit MishraUpdated: Tue, 07 Jun 2016 09:18 PM (IST)
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। बिहार मेंं टॉपर्स की हकीकत सामने आने के बाद अब दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) मेंं विद्यार्थियोंं को दाखिला 12वींं मेंं प्राप्त अंक के बजाय प्रवेश परीक्षा के आधार पर देने व दिल्ली के छात्रोंं के लिए 85 फीसद सीटेंं आरक्षित करने की मांग की गई है।
मंगलवार को दिल्ली प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य विजय गोयल ने डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी से मुलाकात की। मामले में वह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से भी मिलेगे।
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मंगलवार को आयोजित प्रेसवार्ता मेंं गोयल ने कहा कि भ्रष्टाचार, नकल व फर्जी मार्कशीट से डीयू मेंं दाखिला लेनेे वालोंं को रोकने के लिए कदम उठाना होगा। सभी राज्योंं मेंं अलग-अलग शिक्षा बोर्ड, कोर्स होने के साथ ही परीक्षा पद्धति भी अलग है। सभी को केंंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के समकक्ष रखकर नहींं देखा जा सकता। कहींं उदारता से नंबर दिए जाते हैंं तो कहींं सख्ती बरती जाती है। लिहाजा डीयू मेंं कटऑफ लिस्ट का सिद्धांत ही बेमानी है। दूसरे राज्योंं मेंं नकल के मामले सामने आ रहे हैंं ऐसे मे जरूरी कदम उठाना चाहिए। यदि कुछ कोर्स मेंं दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा हो सकती है तो फिर यह नियम सभी कोर्स पर क्योंं नहींं लागू हो सकता है।
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गोयल ने कहा कि वो कई वर्षोंं से मांंग कर रहे हैंं कि दिल्ली से 12वी की परीक्षा उलाीर्ण करने वालो को डीयू मे दाखिले के लिए अंको मे चार फीसद की छूट मिलनी चाहिए। दिल्ली के 18 कॉलेज दिल्ली सरकार के प्रबधन मे है। इनमे 85 फीसदी सीटे यहां के विद्यार्थियो को मिलनी चाहिए।
भाजपा नेता ने कहा कि दिल्ली से कुल 2,23439 विद्यार्थियो ने 12वींं की परीक्षा पास की है, जबकि डीयू मेंं सिर्फ 54,000 सीटेंं हैंं। इसमेंं सामान्य श्रेणी के लिए सिर्फ 26000 सीटेंं हैंं। शेष सीटेंं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति व जनजाति (एससी व एसटी) के लिए आरक्षित हैंं। जबकि दिल्ली मेंं ओबीसी व एसी, एसटी की आबादी कम है। सामान्य श्रेणी की जो सीटेंं हैं, उस पर भी दूसरे राज्योंं के विद्यार्थियोंं को दाखिला मिल जाता है। इस स्थिति मेंं दिल्ली के विद्यार्थियोंं को डीयू मेंं दाखिला नहींं मिलता है और उन्हेंं दूसरे राज्योंं मेंं जाकर पढ़ाई करनी पड़ती है।
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गोयल ने कहा कि उनका मकसद केवल दिल्ली के विद्यार्थियोंं को उनका हक दिलवाना है। यह राजनीति का विषय नहींं है। इसलिए वह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से भी मिलेंंगे। उन्होंंने कहा कि बिहार सहित कई राज्योंं के विद्यार्थी अच्छी पढ़ाई के लिए दिल्ली आते हैं। इसलिए यह भी सवाल उठता है कि उन राज्योंं मेंं अच्छे कॉलेज क्योंं नहींं खुल रहे हैं और इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
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भाजपा नेता ने कहा कि दिल्ली से कुल 2,23439 विद्यार्थियो ने 12वींं की परीक्षा पास की है, जबकि डीयू मेंं सिर्फ 54,000 सीटेंं हैंं। इसमेंं सामान्य श्रेणी के लिए सिर्फ 26000 सीटेंं हैंं। शेष सीटेंं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति व जनजाति (एससी व एसटी) के लिए आरक्षित हैंं। जबकि दिल्ली मेंं ओबीसी व एसी, एसटी की आबादी कम है। सामान्य श्रेणी की जो सीटेंं हैं, उस पर भी दूसरे राज्योंं के विद्यार्थियोंं को दाखिला मिल जाता है। इस स्थिति मेंं दिल्ली के विद्यार्थियोंं को डीयू मेंं दाखिला नहींं मिलता है और उन्हेंं दूसरे राज्योंं मेंं जाकर पढ़ाई करनी पड़ती है।
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गोयल ने कहा कि उनका मकसद केवल दिल्ली के विद्यार्थियोंं को उनका हक दिलवाना है। यह राजनीति का विषय नहींं है। इसलिए वह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से भी मिलेंंगे। उन्होंंने कहा कि बिहार सहित कई राज्योंं के विद्यार्थी अच्छी पढ़ाई के लिए दिल्ली आते हैं। इसलिए यह भी सवाल उठता है कि उन राज्योंं मेंं अच्छे कॉलेज क्योंं नहींं खुल रहे हैं और इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
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