काटजू बोले, जज कोई सुपरमैन नहीं
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा के अदालतों के साल भर लगातार काम करने के सुझाव पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मुख्य न्यायाधीश के प्रस्ताव पर तमाम सवाल खड़े करते हुए काटजू ने कहा कि जज कोई सुपरमैन नहीं होते और उन्हें भी आराम की जरूरत होती है। प्रेस काउ
By Edited By: Updated: Wed, 02 Jul 2014 10:32 PM (IST)
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा के अदालतों के साल भर लगातार काम करने के सुझाव पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मुख्य न्यायाधीश के प्रस्ताव पर तमाम सवाल खड़े करते हुए काटजू ने कहा कि जज कोई सुपरमैन नहीं होते और उन्हें भी आराम की जरूरत होती है।
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस काटजू ने अपने ब्लॉग पर लिखा, 'भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अदालतों को साल भर 365 दिनों तक खुला रहना चाहिए। यह कैसे मुमकिन है? क्या एक जज को आराम की जरूरत नहीं होती? क्या वह अपने परिवार की देखरेख करने वाला एक आम इंसान नहीं है?' काटजू ने कहा कि इसमें कई हिस्सेदार हैं और यह जनता के विचार के लिए छोड़ देना चाहिए कि न्यायपालिका को किन परिस्थितियों में काम करना चाहिए। काटजू ने कहा, कई जज कड़ी मेहनत करते हैं और कई नहीं। कड़ी मेहनत करने वाले जजों को भी आराम की जरूरत होती है और उनका भी एक परिवार होता है। इसी तरह वकीलों और रजिस्ट्री अधिकारियों के भी अपने परिवार होते हैं, जिनकी देखभाल उन्हें करनी पड़ती है और इंसान होने के नाते उन्हें भी आराम की जरूरत होती है। मैं उन जजों का पक्ष नहीं ले रहा जो कड़ी मेहनत नहीं करते। मैं सिर्फ यह आग्रह कर रहा हूं कि परिस्थिति पर विचार लोगों पर छोड़ दिया जाना चाहिए।' अदालतों के सामने बड़ी संख्या में लंबित मामलों के बारे में काटजू ने लिखा, 'यह न्यायपालिका की दुर्दशा को दिखाता है। आखिर हम कोई सुपरमैन नहीं हैं। अगर एक व्यक्ति सिर्फ 50 किलो वजन ही उठा सकता है और आप उसके सिर पर हाथी रख दें तो क्या होगा? जाहिर सी बात है कि वह भरभराकर गिर जाएगा।' उन्होंने लिखा, 'न्यायपालिका के सामने लंबित मामलों की संख्या बहुत अधिक है, ऊपर से नए मामले भी बड़ी संख्या में आ रहे ही हैं।'