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इंटरनेट की अभूतपूर्व निगरानी शुरू

फेसबुक ट्विटर या यू-ट्यूब से ई-मेल तक पूरी वेब दुनिया पर शिकंजा कसने में सरकार को जरा भी देर नहीं लगेगी। देश में इंटरनेट मॉनीटरिंग की अब तक की सबसे बड़ी परियोजना पर अमल शुरू हो गया है। अब इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की पहचान ही नहीं बल्कि वेब पर संवाद सामग्री [कंटेंट] पर भी पैनी नजर रखी जा रही है। एक-एक क्लिक, एक-एक सर्च, अपडेट, चैट और मेल को कोई देख रहा है। पूरी योजना को सुरक्षा मामलों की कैनिबेट कमेटी मंजूरी मिल गई है।

By Edited By: Updated: Mon, 16 Apr 2012 10:32 AM (IST)

नई दिल्ली, [अंशुमान तिवारी]। फेसबुक ट्विटर या यू-ट्यूब से ई-मेल तक पूरी वेब दुनिया पर शिकंजा कसने में सरकार को जरा भी देर नहीं लगेगी। देश में इंटरनेट मॉनीटरिंग की अब तक की सबसे बड़ी परियोजना पर अमल शुरू हो गया है। अब इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की पहचान ही नहीं बल्कि वेब पर संवाद सामग्री [कंटेंट] पर भी पैनी नजर रखी जा रही है। एक-एक क्लिक, एक-एक सर्च, अपडेट, चैट और मेल को कोई देख रहा है। पूरी योजना को सुरक्षा मामलों की कैनिबेट कमेटी मंजूरी मिल गई है।

इस अभियान में खुफिया एजेंसियों का पूरा दस्ता लगा है। स्थलीय नेटवर्क से लेकर उपग्रह और समुद्री केबल तक सभी जगह इंटरनेट ट्रैफिक मॉनीटरिंग प्रणाली लगाई जा रही है। देश में अलग-अलग जगहों पर करीब 53 मॉनीटरिंग मॉड्यूल स्थापित हो चुके हैं। उन्हें इनक्रिप्टेड [कूट] संदेश खोलने और कंटेंट को जाचने के एक केंद्रीय तंत्र से जोड़ा जा रहा है। लगभग 450 करोड़ रुपये के इस अभियान की तकनीकी कमान एनटीआरओ के हाथ है। खुफिया ब्यूरो [आईबी], राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआईए], मिलिट्री इंटेलीजेंस [एमआई], रिसर्च एंड एनालिसिस विंग [रॉ], दूरसंचार विभाग, सी-डॉट, सूचना तकनीक विभाग, टेलीकॉम इंजीनियरिंग सेंटर [टीईसी] इन मॉनीटरिंग प्रणालियों का संचालन करेंगे।

आतंकी खतरों, साइबर सुरक्षा और गोपनीयता की जरूरतों के चलते इंटरनेट मॉनीटरिंग का अभियान गजब की तेजी के साथ तैयार हुआ है। इसके लिए खुफिया एजेंसियों, रक्षा और गृह मंत्रालय और एडवास कंप्यूटिंग संस्थानों के बीच पिछले छह माह में कई बैठकें हुईं।

एनटीआरओ पूरे अभियान का सूत्रधार है, जिसे करीब 20 करोड़ रुपये का शुरुआती बजट दिया गया है। पूरे अभियान में अहम पहलू उस अकूत कंटेंट की निगरानी है जो चैट, मेल, सोशल मीडिया, फोटो के जरिए वेब में तैरता है। इस निगरानी के लिए विशेष तकनीकों का इस्तेमाल होगा। इसके लिए सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एंड रोबोटिक्स [केयर] भी मदद दे रहा है। एनटीआरओ ने जल [समुद्री केबल], थल [स्थलीय इंटरनेट गेटवे] और आकाश [उपग्रह इनमारसेट] के लिए अलग मॉनीटरिंग मॉड्यूल तैयार किए हैं। इंटरनेट निगहबानी के लिए एक केंद्रीय मॉनीटरिंग सिस्टम के साथ एक टेलीकॉम टेस्टिंग एंड सिक्यूरिटी प्रमाणन केंद्र भी होगा जो दूरसंचार नेटवर्क में लगाए जाने वाले उपकरणों को सुरक्षा स्वीकृति देगा।

धरती से आकाश तक

-जल, थल और आकाश में फैला मॉनीटरिंग नेटवर्क, देश में 53 मॉनीटरिंग मॉड्यूल लगाए गए।

-उपग्रह स्थलीय गेटवे, समुद्री केबल, सभी जगह निगहबानी प्रणालियों की स्थापना शुरू।

-एनटीआरओ को पूरी परियोजना की कमान सौंपी गई। खुफिया एजेंसियों को जिम्मेदारी बाटी गई।

सबकी जिम्मेदारी तय

-एनटीआरओ-स्थलीय गेटवे, सेटेलाइट, समुद्री नेटवर्क मॉनीटरिंग, क्रिप्ट एनालिसिस, कंटेंट एनालिसिस।

-सी-डॉट [सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमेटिक्स]-वायस कॉल, बेसिक, जीएसएम, सीडीएमए, एसएमएस, एमएमएस, अंतरराष्ट्रीय कॉल, कॉल डाटा रिकॉर्ड।

-केयर [सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एंड रोबोटिक्स]: इंटरनेट निगरानी की विशेष तकनीक विकसित करने में मदद कर रहा है।

क्या है एनटीआरओ

नेशनल टेक्नीकल रिसर्च आर्गनाइजेशन [एनटीआरओ] राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के मातहत एक शीर्ष तकनीकी खुफिया एजेंसी है। यह रणनीतिक तकनीकों, तकनीकी खुफिया मॉनीटरिंग, साइबर सुरक्षा पर काम करता है। इसकी स्थापना 2004 में हुई थी। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिप्टोलॉजी रिसर्च एंड डेवलपमेंट भी इसके अधीन है। यह इंस्टीट्यूट इंटरनेट पर कूट संदेशों की तकनीक पर काम करता है।

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