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पुलिसवाला चार एके-47 राइफलें लेकर फरार, हिजबुल में हुआ शामिल

दक्षिण कश्मीर में एक पुलिसकर्मी अपने दो दोस्तों के साथ चार सरकारी एके-47 राइफलें लेकर फरार हो गया है और हिजबुल में शामिल हो गया। पुलिसकर्मी के आतंकियों से जा मिलने की सूचना पर पूरी वादी में एलर्ट घोषित कर उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है।

By Rajesh KumarEdited By: Updated: Sun, 17 Jan 2016 01:59 AM (IST)
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श्रीनगर : दक्षिण कश्मीर में एक पुलिसकर्मी अपने दो दोस्तों के साथ चार सरकारी एके-47 राइफलें लेकर फरार हो गया है और हिजबुल में शामिल हो गया। पुलिसकर्मी के आतंकियों से जा मिलने की सूचना पर पूरी वादी में एलर्ट घोषित कर उसके संभावित ठिकानों पर दबिश दी जा रही है।

आतंकी बनने वाले पुलिसकर्मी की पहचान शकूर अहमद उर्फ माशूक और उसके साथ गायब हुए दो दोस्तों की पहचान गाजी फैयाज डार व आकिब अहमद के रूप में हुई है। ये तीनों शोपियां जिले के कुंडलन गांव के रहने वाले हैं और बचपन के गहरे दोस्त बताए जाते हैं। आकिब पेशे से एक बेकर हैं, जबकि गाजी खेतीबाड़ी करता है।

पुलिसकर्मी शकूर के आतंकी बनने की जानकारी पुलिस को शनिवार को मिली। वह दो दिनों से गायब था। जब उसकी गैरहाजिरी की छानबीन हुई तो पता चला वह अपने घर भी नहीं गया है। उसके दो दोस्त भी दो दिनों से गायब हैं। पुलिस स्टेशन परिसर में उसके सामान की तलाशी ली गई तो पता चला कि चार एके-47 राइफलें भी गायब हैं।

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मामले की जांच कर रहे एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआती जांच में स्पष्ट हो गया है कि वह हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल हुआ है। फिलहाल, तीनों युवकों के परिजनों को पूछताछ के लिए तलब किया गया है। आइजीपी कश्मीर एसजेएम गिलानी ने कहा कि तीनों की खोज के लिए विशेष दल का गठन किया गया है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिसकर्मी माशूक एसडीपओ बिजबिहाड़ा इरशाद अहमद के सुरक्षा दस्ते में था। इरशाद अहमद पर 24 दिसंबर को आतंकियों ने एक जुलूस के दौरान हमला किया था। शकूर ने उस समय भी आतंकियों का मुकाबला नहीं किया था। उसने जवाबी फायर भी नहीं किया बल्कि चुपचाप देखता रहा। इसके बाद से ही वह शक के घेर में था।

2015 में भी चार पुलिसकर्मी बने थे आतंकी

जागरण ब्यूरो, श्रीनगर : शकूर अहमद उर्फ माशूक बेशक वर्ष 2016 में आतंकी बनने वाला पहला पुलिसकर्मी है, लेकिन वर्ष 2015 में भी चार पुलिसकर्मी आतंकी की राह पकड़ चुके हैं। इस समय भी लगभग 130 पुलिसकर्मियों पर आतंकियों का साथ देने के विभिन्न मामले अदालतों में विचाराधीन हैं।

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27 मार्च को तत्कालीन आरएंडबी मंत्री अल्ताफ बुखारी के मकान की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी नसीर अहमद पंडित दो एसाल्ट राइफलों के साथ भाग गया था। नसीर जल्द ही हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल हो गया। उसके बाद डोडा जिले में दो पुलिसकर्मी बशीर अहमद व मुहम्मद रियाज दो सितंबर 2015 को हिजबुल मुजाहिद्दीन का हिस्सा बन गए। जिसे 15 अक्तूबर को मार गिराया गया। दक्षिण कश्मीर के जाडूरा-पुलवामा में ही 27 नवंबर 2015 को पुलिसकर्मी सैयद मुफीद बशीर उर्फ रकीब आतंकी गुट में शामिल हो गया।