एक चौथाई आबादी सूखे की चपेट में, 10 राज्यों के 254 जिले प्रभावित
मई-जून का आना अभी बाकी है, लेकिन देश की एक चौथाई आबादी अभी से सूखे की मार झेल रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मई-जून का आना अभी बाकी है, लेकिन देश की एक चौथाई आबादी अभी से सूखे की मार झेल रही है। मंगलवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 10 सूखा प्रभावित राज्यों का ब्योरा दिया। सरकार ने कहा कि इन राज्यों में कुल 254 जिले सूखा प्रभावित हैं, जिनमें 33 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं। गुजरात सरकार ने भी हाल में सूखा घोषित किया है। लेकिन केंद्र सरकार गुजरात के आंकड़े कोर्ट में पेश नहीं कर सकी।
इस पर कोर्ट ने सरकार से सवाल भी किया। केंद्र ने मनरेगा, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ में राज्यों को जारी रकम के बारे में भी कोर्ट को बताया।केंद्र सरकार ने यह ब्योरा सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पेश किया है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सरकार से सूखा प्रभावित 10 राज्यों के जिला और जनसंख्यावार आंकड़े पेश करने को कहा था। इसके अलावा मनरेगा, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के आवंटन का ब्योरा भी मांगा था। गैर सरकारी संगठन स्वराज अभियान ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सूखा प्रभावित 10 राज्यों में राहत दिए जाने की मांग की है। इस याचिका पर न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और एनवी रमन्ना की पीठ सुनवाई कर रही है। मंगलवार को एडीशनल सालिसिटर जनरल पी. नरसिम्हन ने कोर्ट में राज्यों की ओर से केंद्र को भेजा गया ब्योरा पेश किया।
पढ़ेंः सिद्दरमैया के सूखा क्षेत्र दौरे में टैंकरों से बहाया पानी
गुजरात का ब्योरा नहीं होने पर कोर्ट ने नरसिम्हन से सवाल किया। इस पर उन्होंने कहा कि गुजरात ने बाद में सूखा घोषित किया है। केंद्र को वहां के आंकड़े नहीं मिले हैं। कोर्ट ने सवाल किया कि कितने परिवारों को मनरेगा में 150 दिन का काम मिला? इस पर नरसिम्हन ने मनरेगा का ब्योरा पेश करना शुरू किया। उन्होंने पीठ को बताया कि केंद्र ने मनरेगा के कुल 38,500 करोड़ आवंटन में से 19,555 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। इस पर पीठ ने कहा कि वास्तव में इस साल के लिए तो 7,300 करोड़ ही दिए गए हैं, क्योंकि 12,000 करोड़ तो पहले का बकाया था।
इस पर नरसिम्हन ने कहा कि केंद्र और फंड जारी करेगा। याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने मांग की कि सरकार मनरेगा के तहत 78,633 करोड़ का फंड जारी करे। इसमें से 50 फीसद तत्काल दिया जाए। मामले में बुधवार को फिर सुनवाई होगी।
सरकार को नसीहत
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि उसको सूखे पर एडवाइजरी जारी करते रहना चाहिए।
--उसे राज्यों को बताना चाहिए कि इस हिस्से मे सूखा पड़ने की संभावना है।
--सरकार अगस्त में एडवाइजरी देना शुरू करे। फिर नवंबर, दिसंबर और जनवरी, फरवरी में जारी की जाए।
--इसके बाद भी राज्य उस क्षेत्र को सूखा प्रभावित घोषित नहीं करता तो यह दूसरा मसला होगा।
--केंद्र सरकार को सूखे से निपटने के लिए राज्यों को फंड भी मुहैया कराना चाहिए।
प्रभावित 10 राज्यों का ब्योरा
उत्तर प्रदेश : 50 जिले
झारखंड : 22 जिले
कर्नाटक : 27 जिले
छत्तीसगढ़ : 25 जिले
मध्य प्रदेश : 46 जिले
महाराष्ट्र : 21 जिले
ओडिशा : 27 जिले
आंध्र प्रदेश : 10 जिले
तेलंगाना : 8 जिले
राजस्थान : 19 जिले
उत्तर प्रदेश में सूखे का ब्योरा
उत्तर प्रदेश के 75 में से 50 जिले सूखे से प्रभावित हैं। इनमें संत रविदास नगर, सोनभद्र, सुल्तानपुर, मिर्जापुर, बलिया, सिद्धार्थ नगर, शाहजहांपुर, बांदा, प्रतापगढ़, चंदौली, इटावा, बस्ती, बागपत, जौनपुर, फैजाबाद, गोंडा, कन्नौज, बाराबंकी, संत कबीर नगर, झांसी, जालौन, गोरखपुर, हाथरस, एटा, इलाहाबाद, गाजियाबाद, फर्रुखाबाद, मऊ, उन्नाव, रामपुर, हमीरपुर, ललितपुर, चित्रकूट, कानपुर नगर, लखनऊ, देवरिया, मैनपुरी, महाराजगंज, आगरा, औरैया, पीलीभीत, अमेठी, महोबा, राय बरेली, कुशीनगर, कानपुर देहात, कौशांबी, फतेहपुर, अंबेडकर नगर और बलराम पुर।
पढ़ेंः भीषण गर्मी से जल उठा उत्तर प्रदेश बांदा में 46 डिग्री पहुंचा पारा