भाजपा सरकार बनी तो 'आप' को लगेगा सियासी झटका
सूबे में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार आम आदमी पार्टी के लिए तगड़ा झटका साबित होगी। शायद यही वजह है कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भाजपा को सरकार बनाने से रोकने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहते।
By Edited By: Updated: Wed, 10 Sep 2014 08:15 AM (IST)
नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। सूबे में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार आम आदमी पार्टी के लिए तगड़ा झटका साबित होगी। शायद यही वजह है कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल भाजपा को सरकार बनाने से रोकने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहते।
सियासी जानकारों की मानें तो देश भर में पांव पसारने के अपने तमाम दावों के बावजूद आम आदमी पार्टी महज दिल्ली तक ही सिमट कर रह गई है। हाल ही में संपन्न विधानसभा के उपचुनाव में पंजाब में पार्टी प्रत्याशियों की जमानत जिस प्रकार जब्त हुई उससे साफ हो गया कि वह कितनी ताकतवर है। दूसरी ओर लाख दावों के बावजूद यह पार्टी लोकसभा के चुनाव में दिल्ली में एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो पाई। इसके हरियाणा में चुनाव लड़ने से इन्कार करने से भी साफ हो गया कि दिल्ली से बाहर इसमें कितना दम खम है। लिहाजा, पार्टी दिल्ली में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है। योगेन्द्र यादव व मनीष सिसोदिया के बीच उभरे तीखे मतभेदों ने आम आदमी पार्टी के भीतर जारी कलह को सतह पर लाने का काम किया तो शाजिया इल्मी द्वारा पार्टी छोड़ने से भी इसकी साख पर असर पड़ा। पार्टी के संस्थापकों में से एक शांतिभूषण द्वारा केजरीवाल की संगठन क्षमता पर सवाल खड़े किए जाने और पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की कमी बताए जाने से भी इस पार्टी की भारी किरकिरी हुई थी। अब कुमार विश्वास के तीखे तेवर बता रहे हैं कि आने वाले दिनों में भी वह भी कोई नया रास्ता तलाश सकते हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि दिल्ली में एक और जीत हासिल हो जाने से आम आदमी पार्टी और इसके नेता केजरीवाल को फिर से ताकत हासिल हो जाएगी। दूसरी ओर भाजपा की सरकार बन जाने की सूरत में किसी जीत का कोई रास्ता बचेगा नहीं और आम आदमी पार्टी के भीतर दिख रहे मतभेद और भी तेजी से सामने आएंगे। केजरीवाल द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का मलाल न केवल खुद उनको बल्कि पार्टी के तमाम विधायकों को है।
ऐसे में यदि चुनाव की नौबत आती है तो केजरीवाल को अपनी पार्टी में विरोध के स्वर सुनने पड़ सकते हैं। यदि भाजपा ने सरकार बना ली तो अगले चार साल अपनी लोकप्रियता कायम रखना आप के लिए आसान नहीं होगा। पढ़ें: सरकार बनाने में पितृपक्ष भी बाधा