संजय सिंह आप आदमी पार्टी (आप) का पूर्वांचली चेहरा हैं। पूर्वांचल के लोगों को पार्टी से जोडऩा और उन्हें चुनाव जिताने के साथ ही पार्टी के कई अन्य महत्वपूर्ण काम भी संजय सिंह के पास हैं। वह पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक हैं और इस चुनाव में भी
By Rajesh NiranjanEdited By: Updated: Sun, 25 Jan 2015 01:23 PM (IST)
संजय सिंह आप आदमी पार्टी (आप) का पूर्वांचली चेहरा हैं। पूर्वांचल के लोगों को पार्टी से जोडऩा और उन्हें चुनाव जिताने के साथ ही पार्टी के कई अन्य महत्वपूर्ण काम भी संजय सिंह के पास हैं। वह पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक हैं और इस चुनाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पूर्वांचल के आठ लोगों को चुनाव मैदान में उतारा है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी पूर्वांचल के लोगों को मैदान में उतारा गया था। दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य व कई अन्य मुद्दों पर दैनिक जागरण के मुख्य संवाददाता वीके शुक्ला ने उनसे लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश:
विधानसभा चुनाव को किस रूप में ले रहे हैं।हमारे लिए कुछ भी अलग नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव के समय दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी और केंद्र में भी कांग्रेस की नेतृत्व वाली सरकार थी। इस बार केंद्र में भाजपा की सरकार है और दिल्ली में भी उसी के नेतृत्व में सरकार चल रही है। हमने पिछली बार सरकार बनाई और इस बार भी बनाएंगे।पार्टी की जीत को लेकर कितने आश्वस्त हैं?
आश्वस्त का तो सवाल ही नहीं है, हम जीत रहे हैं। अरविंद भाई पहले ही कह चुके हैं कि हम 45 से अधिक सीटें जीतेंगे। भाजपा और केंद्र सरकार पूरी ताकत लगा ले, यह तो होकर ही रहेगा।किरण बेदी के आने से आपको नहीं लगता कि आप के लिए मुश्किलें बढ़ी हैं?
कैसी मुश्किलें? जब मोदी दिल्ली विधानसभा का चुनाव नहीं जिता पाए तो किरण बेदी क्या करेंगी? आपको ध्यान होगा कि भाजपा ने पिछला विधानसभा चुनाव भी मोदी के सहारे लड़ा था? और भाजपा को पूर्ण बहुमत के लायक सीटें नहीं मिलीं।
आप कह रही है कि मोदी केंद्र में और केजरी दिल्ली में? इस नारे के पीछे क्या रणनीति है?कोई रणनीति नहीं है, हम सीधी बात करते हैं, इसीलिए जनता हमारी बात समझती है। यह नारा नहीं हकीकत है। हम कहते हैं कि मोदी को केंद्र में ही रहने दो, दिल्ली के लिए अरविंद केजरीवाल को लाओ। मोदी कहां-कहां काम देखेंगे। मगर बार-बार वे दिल्ली की बात पर आ जाते हैं। आज स्थिति यह हो गई है कि दिल्ली में भाजपा के पास कोई नेता नहीं है। किरण बेदी को 15 दिन पहले पैराशूट से उतार दिया गया है।किरण बेदी को लेकर भाजपा में जबरदस्त विद्रोह चल रहा है। दिल्ली के नेताओं को एक साथ खड़े होने के लिए भी पार्टी नेतृत्व को कहना पड़ रहा है। इससे शर्म की बात और क्या होगी?
आप के नेता किरण बेदी के संबंध में ही बात क्यों कर रहे हैं?हम नहीं बोल रहे हैं, मीडिया बुलवा रहा है, हमने तो उस दिन भी कोई बयान नहीं दिया जब किरण बेदी भाजपा में गई थीं जबकि वह राजनीति को ठीक नहीं मानती थीं। हम यह भी कह रहे हैं कि थोड़ा इंतजार कीजिए और देखिए किरण बेदी भाजपा को किस ओर ले जाती हैं। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
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