अरविंद केजरीवाल ने आखिरकार साबित कर दिया कि आम आदमी पार्टी (आप) में खास सिर्फ वही होंगे। पार्टी को पूरी तरह उनके ही इशारों पर चलना होगा। पार्टी में उनके बाद सबसे ज्यादा आदर पाने वाले संस्थापक सदस्यों प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव दोनों की ही संगठन की शीर्ष इकाई
By Test2 test2Edited By: Updated: Thu, 05 Mar 2015 10:04 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अरविंद केजरीवाल ने आखिरकार साबित कर दिया कि आम आदमी पार्टी (आप) में खास सिर्फ वही होंगे। पार्टी को पूरी तरह उनके ही इशारों पर चलना होगा। पार्टी में उनके बाद सबसे ज्यादा आदर पाने वाले संस्थापक सदस्यों प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव दोनों की ही संगठन की शीर्ष इकाई राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) से छुट्टी कर दी गई है। बुधवार को छह घंटे तक चली पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में इस कार्रवाई पर सीधा बंटवारा दिखाई दिया और आखिरकार वोटिंग करवा कर बहुमत के आधार पर फैसला किया गया।
बैठक में कुल 21 सदस्य मौजूद थे जिनमें प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव समेत आठ ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। केजरीवाल ने एक बार फिर पार्टी संयोजक पद से इस्तीफे की पेशकश की थी मगर यह रस्म अदायगी से ज्यादा नहीं रही। उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया गया। भूषण और यादव दोनों ने ही कहा है कि वे बहुमत से लिए गए फैसले का सम्मान करते हैं और पार्टी में नई भूमिका के लिए तैयार हैं।
नई जिम्मेदारी दी जाएगी: कुमार विश्वास बैठक के बाद पार्टी प्रवक्ता कुमार विश्वास ने अंदर चले संघर्ष पर पर्दा डालने की कोशिश करते हुए कहा कि अब पार्टी के दोनों वरिष्ठ साथियों को नई जिम्मेदारी दी जाएगी।
नहीं आए केजरीवाल दिल्ली में मौजूद रहने के बावजूद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद बैठक में मौजूद नहीं थे। बढ़े शुगर की वजह से उनका स्वास्थ्य खराब है और बृहस्पतिवार की सुबह वे दस दिन के प्राकृतिक चिकित्सा के इलाज के लिए बेंगलुरु रवाना हो जाएंगे।
कौन-कौन हैं पीएसी में योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की छुट्टी के बाद अब आम आदमी पार्टी की पीएसी में सात सदस्य रह गए हैं। ये है- अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, गोपाल राय, संजय सिंह, पंकज गुप्ता, कुमार विश्वास और इलियास आजमी।.
क्या पार्टी छोड़ेंगे योगेंद्र और प्रशांत? आप की पीएसी से हटाए जाने के बाद अब पूछा जा रहा है कि क्या योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण पार्टी छोड़ देंगे। वैसे जिस तरह से दोनों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है और नई जिम्मेदारी भी अभी नहीं दी गई है, उनके लिए और कोई रास्ता बचता भी नहीं है।
एक हफ्ते से चल रही थी तैयारी पार्टी में पिछले लगभग एक हफ्ते से केजरीवाल खेमा दोनों कद्दावर नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहा था। इसे भांपते हुए विरोधी खेमा भी पार्टी के कई अंदरूनी पत्र मीडिया के सामने लाया था। इनमें पार्टी के आंतरिक लोकपाल रामदास की ओर से लिखा गया वह पत्र भी शामिल है जिसमें उन्होंने केजरीवाल के संयोजक पद पर बने रहने पर सवाल खड़े किए थे। उधर, केजरीवाल समर्थकों ने योगेंद्र यादव पर भीतरघात के आरोप लगाए थे। केजरीवाल के बेहद करीबी आशीष खेतान ने प्रशांत भूषण के बारे में यहां तक कहा था कि शांति भूषण, प्रशांत और उनकी बहन शालिनी की तिकड़ी पार्टी पर अनैतिक कब्जा करना चाहते हैं। 'राष्ट्रीय कार्यकारिणी का बहुमत से फैसला है कि अब मैं और योगेंद्र यादव पीएसी में नहीं रहेंगे।'
-प्रशांत भूषण 'मैं अनुशासित कार्यकर्ता की तरह पार्टी जो आदेश देगी... जो भूमिका देगी, उसे पूरी तरह से निभाने की कोशिश करूंगा। यह पार्टी देश में न जाने कितने लोगों की आशा का पुंज है। चाहे जो हो यह आशा नहीं टूटनी चाहिए।'
-योगेंद्र यादव पढ़ें : न तोड़ेंगे न छोड़ेंगे, सुधारेंगे और खुद भी सुधरेंगेः योगेंद्र यादव