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किशोरावस्‍था में गर्भपात की संख्‍या में भारी बढ़ोतरी... कहां हो रही चूक

मेट्रो सिटी मुंबई में टीनएज लड़कियों में गर्भपात के आंकड़ों में हुई भारी वृद्धि चौंकाने वाले हैं। 144 फीसद की बढ़ोतरी होने से स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ताओं के साथ शहर के एनजीओ को भी सतर्क कर दिया है।

By Monika minalEdited By: Updated: Mon, 16 May 2016 01:49 PM (IST)
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मुंबई। पिछले तीन सालों के दौरान मुंबई में 15 वर्ष की छोटी उम्र की लड़कियों में गर्भपात के आंकड़े में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। इस आंकड़े में होने वाली 144 फीसद की बढ़ोतरी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए खतरे की घंटी है। इसके अलावा 2015-16 में एमटीपी (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी) मामलों में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है।

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पंजीकृत एमटीपी केंद्रो से जुटाए नये बीएमसी डाटा के अनुसार, 2015-2016 के बीच 34,790 महिलाओं ने मेडिकल या सर्जिकल गर्भपात कराया। इन आंकड़ों के अनुसार 2014-15 की तुलना में 13 फीसद की बढ़त हुई है जो पहले यह संख्या 30,472 थे। 15 वर्ष से कम उम्र के वर्ग में किशोर गर्भावस्था में तेज बढ़त हुई है। यह संख्या पिछले तीन सालों में 111 से बढ़कर 185 और अंतत: 271 हो गयी। 15 से 19 वर्ष की उम्र वाली लड़कियों के बीच एमटीपी 2015-16 में 50 फीसद की कमी हुई थी जो कि एक साल पहले 47 फीसद बढ़ी थी।

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, कार्यकर्ताओं के लिए किशोरावस्था में गर्भपात के ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। लैंगिक समानता के लिए काम कर रहे एनजीओ ‘पॉपुलेशन फर्स्ट की डायरेक्टर ए एल शारदा ने कहा, ‘युवाओं के बीच सेक्सुअल एक्टिविटी में वृद्धि के बावजूद, गर्भपात आंकड़ों को दोगुना करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता है। उनका मानना है कि यौन अपराध अधिनियम (POCSO) की सख्ती भी एक वजह हो सकती है। इस अधिनियम के तहत 18 से कम उम्र में गर्भधारण करने पर पुलिस को सूचित किया जाना है।

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चेतन कोठारी द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त किए गए बीएमसी के आंकड़ों से पता चलता है कि सुरक्षा का ध्यान रखते हुए अधिकतर गर्भपात (32,725) प्रेग्नेंसी के 12वें सप्ताह में हुआ। लेकिन पिछले वर्ष समस्या हो जाने के कारण आठ की मौत हो गयी। बीएमसी ने दावा किया कि पांच वर्ष पहले की तुलना में अब स्थिति में सुधार है, जब एमटीपी से जुड़े 23 मौत के मामले आए थे।

बीएमसी को पक्का विश्वास है कि शहर का ये अस्थिर गर्भपात ग्राफ पॉजिटीव ट्रेंड है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दर्ज मामलों में वृद्धि के लिए दो कारण हो सकते हैं। अधिकारी ने कहा, ‘पंजीकृत केन्द्रों के माध्यम से सुरक्षित गर्भपात वजह हो सकता है। इसके अलावा डॉक्टरों की देखभाल में गोलियों द्वारा गर्भपात के मामले भी आए हैं।‘

फेडरेशन ऑफ ऑब्सटेट्रिक एंड गायनेकोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के मुंबई चैप्टर की प्रेसिडेंट डॉ नंदिता पालशेतकर ने कहा, अधिक गर्भपात लीगल सेंटरों में हुए हैं जसिकी वजह से बेहतर तरीके से रिकार्ड मौजूद हैं। उन्होंने कहा, ‘राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने बिना एमटीपी लाइसेंस के एमटीपी ड्रग रखने वाले डॉक्टरों के लिए मुश्किलें पैदा कर हैं। इसकी वजह से भी रजिस्टर्ड सेंटर में गर्भपात के लिए आने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।‘ लेकिन पालशेतकर ने कहा कि स्कूलों में युवा लड़कियों के लिए यौन शिक्षा आवश्यक होने की जरूरत है। उन्होंने समाज में महिलाओं को गर्भपात व इससे संबंधित अधिकारों के प्रति अवेयरनेस कैंपेन की कमी भी बतायी।