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राहुल का दिखा नया अवतार

कांग्रेस में नंबर दो पर ताजपोशी के 20 घंटे बाद ही राहुल गांधी ने अपना भविष्य का एजेंडा भी सामने रख खुद को पार्टी नेता के रूप में पेश कर दिया। उपाध्यक्ष के रूप में अपने भाषण में राहुल ने एक तरफ तो खुद को पद और ताकत से विरक्त बताया, लेकिन दूसरी तरफ पार्टी को झकझोर कर रख दिया। राहुल ने कहा कि अब मैं पार्टी में जज की तरह काम करूंगा वकील की तरह नहीं। जिस पार्टी की कमान आधी शताब्दी तक नेहरू-गांधी परिवार के हाथ रही, उसमें कोई नियम-कायदा न होने क

By Edited By: Updated: Mon, 21 Jan 2013 02:21 PM (IST)

जयपुर [राजकिशोर]। कांग्रेस में नंबर दो पर ताजपोशी के 20 घंटे बाद ही राहुल गांधी ने अपना भविष्य का एजेंडा भी सामने रख खुद को पार्टी नेता के रूप में पेश कर दिया। उपाध्यक्ष के रूप में अपने भाषण में राहुल ने एक तरफ तो खुद को पद और ताकत से विरक्त बताया, लेकिन दूसरी तरफ पार्टी को झकझोर कर रख दिया। राहुल ने कहा कि अब मैं पार्टी में जज की तरह काम करूंगा वकील की तरह नहीं। जिस पार्टी की कमान आधी शताब्दी तक नेहरू-गांधी परिवार के हाथ रही, उसमें कोई नियम-कायदा न होने की बात बेबाकी से रख उन्होंने पार्टी में बड़े बदलाव के संकेत दिए। हालांकि परिपक्वता दिखाते हुए जोड़ा कि बदलाव झटके में नहीं, धीरे-धीरे होंगे। करीब 45 मिनट के भाषण में राहुल ने दादी, पिता और मां का जिक्र कर सभी को भाव-विभोर कर दिया।

बिल्कुल नए अवतार में दिख रहे राहुल ने खुद को पार्टी में जज बताकर साफ कर दिया कि अब फैसले वही करेंगे। आठ साल के सक्रिय राजनीतिक जीवन के सबसे प्रभावशाली भाषण में राहुल ने नई सोच और कड़े फैसलों की पैरवी तो की, लेकिन गांधी परिवार की भावनात्मक जड़ों को भी खाद-पानी दिया। जब राहुल ने अपनी दादी इंदिरा गांधी की हत्या, पिता राजीव गांधी और सोनिया गांधी के कठिन वक्त को सामने रखा तो उनकी मां, पीएम मनमोहन सिंह, कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी, शीला दीक्षित समेत तमाम नेताओं की आंखें भर आई। तालियों की गड़गड़ाहट और नारेबाजी के बीच भाषण खत्म कर राहुल ने अपनी मां सोनिया को चूमा और पीएम को गले लगाया।

राहुल ने बेबाकी से कांग्रेस संगठन की कमियों और अपनी भविष्य की सोच को सामने रखा। जिस समय देश में राजनीतिक प्रतिष्ठानों के प्रति आक्रोश है, उस समय उन्होंने सत्ता को जहर बताते हुए खुद को अलग करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन है, लेकिन इसमें नियम और कानून नहीं चलते। हम हर दो मिनट में नए नियम बनाते हैं और पुराने नियम दबा देते हैं। मजेदार संगठन है। कभी अपने आप से पूछता हूं कि .भैया ये चलता कैसे है? ये चुनाव कैसे जीतता है.? उन्होंने पार्टी में नियम और कानून की जरूरत बताई। साथ ही बाहरियों और सीधे ऊपर से टिकट देने की परंपरा पर भी कटाक्ष करते हुए कहा कायदे से तो होना यह चाहिए कि पूरे देश में हम प्रधानमंत्री पद के 40-50 दावेदार खुद दें। हर राज्य में 5-10 मुख्यमंत्री लायक उम्मीदवार होने चाहिए।

राहुल ने जिला-ब्लॉक स्तर पर कार्यकर्ताओं की सबसे बड़ी टीस को भी सहलाया। उन्होंने कहा कि टिकट के समय जिलाध्यक्षों और प्रदेश अध्यक्षों से नहीं पूछा जाता, ऊपर से निर्णय लिया जाता है। दूसरे दलों के लोग चुनाव के पहले आ जाते हैं, फिर हारकर चले जाते हैं। राहुल ने साफ किया कि वह सिर्फ युवाओं के नेता नहीं हैं। खुद को कांग्रेस के हर वर्ग का नेता बताते हुए कहा कि वह सबको साथ लेकर चलेंगे। उन्होंने कहा कि जो भ्रष्ट हैं, वे भ्रष्टाचार हटाने की मांग करते हैं, जो महिलाओं का सम्मान नहीं करते, वे उनके सम्मान की बात करते हैं। युवावर्ग इसलिए नाराज है क्योंकि उसे समुचित भागीदारी नहीं मिल रही। सत्ता की चाभी सिर्फ कुछ लोगों की जेब में क्यों रहे?

भाषण के मुख्य अंश

-कांग्रेस में ही है हिंदुस्तान का डीएनए

-मैं देश की जनता के लिए काम करूंगा

-जनता और कांग्रेस ही है मेरी जिंदगी

-टिकट देने में ऊपर से फैसला गलत

-हमें देश चलाने वाले 40-50 नेता चाहिए

-गरीबों तक पहुंचेंगे सौ में 99 पैसे

-बागियों पर होनी चाहिए कार्रवाई

..कल रात मां कमरे में आकर रोने लगीं

जयपुर। राहुल गांधी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष के रूप में अपने पहले भाषण में राहुल ने अपनी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से लेकर जयपुर के चिंतन शिविर तक के फासले को जिस अंदाज में रखा, उसने कांग्रेस समिति की खुली बैठक का माहौल ही भावुक कर दिया। सोनिया गांधी का जिक्र करते हुए राहुल बोले,''कल रात को मां उनके कमरे में आई और रोने लगीं, क्योंकि वह जानती हैं कि ताकत या सत्ता का नशा कई लोगों के लिए जहरीला होता है। चूंकि वह खुद ताकत में रहकर भी उससे विरक्त रहीं, लिहाजा वह इसे ठीक से समझती हैं। सत्ता सिर्फ लोगों को सशक्त बनाने के लिए होनी चाहिए।''

पार्टी उपाध्यक्ष पद पर ताजपोशी के साथ दादी और पिता की अकाल मौत के दर्द को राहुल ने सिर्फ भावनात्मक स्तर पर ही नहीं भुनाया, बल्कि मां सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री न बनने के त्याग को गिनाते हुए यह संदेश देने की कोशिश भी की कि वह सत्ता और पद से ऊपर की सोच के साथ आगे बढ़ने जा रहे हैं। राहुल के अनुसार शनिवार को उपाध्यक्ष बनने के बाद जब सब जगहों से बधाई का सिलसिला चल रहा था तो उनकी मां सोनिया किस मानसिक दौर से गुजर रही थीं।

इससे पहले राहुल ने 1984 में अपनी दादी की हत्या की घटना के बाद खुद पर बीते त्रासद अनुभवों और मनोभावों को पहली बार साझा किया। राहुल ने कहा कि दादी [इंदिरा गांधी] के दो अंगरक्षक उनके साथ बैडमिंटन खेलते थे और दोस्त थे। उन्होंने ही मुझे बैडमिंटन सिखाया और एक दिन दादी की हत्या कर दी। इससे मेरे जीवन का संतुलन बिगड़ गया। ऐसा दुख पहली बार देखा था। राहुल ने बताया कि मेरे पिता बंगाल से अस्पताल आए तो वह रो रहे थे। मैंने उन्हें पहली बार रोते देखा। मेरे लिए वह सबसे बहादुर थे, लेकिन वह रो रहे थे। उसी शाम मैं अपने पिता को देश को संबोधित करते देख रहा था। मैं जानता था कि वह अंदर से टूटे हुए हैं, लेकिन उन्हें बोलते देख मुझे भी आशा बंधी। वह अंधेरे में एक किरण की तरह था। इस वाकये को याद करते हुए राहुल ने अपने आठ साल के राजनीतिकअनुभव की बात करते हुए मां सोनिया से शनिवार रात हुई बातचीत को जोड़ा और कहा कि बिना आशा के कुछ नहीं हो सकता।

सोशल मीडिया पर ध्यान दें

जयपुर। कांग्रेस चिंतन शिविर में राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं को एकजुटता बरतने के साथ सोशल मीडिया पर उपस्थिति बनाए रखने पर जोर दिया है। शिविर में राहुल ने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव की चर्चा करते हुए कहा कि पार्टी की उपस्थिति सोशल मीडिया में भी होनी चाहिए, ताकि पार्टी युवाओं में अपनी बात ज्यादा से ज्यादा पहुंचा सके।

राहुल ने कहा कि सोशल मीडिया से कांग्रेसी नेता अधिक से अधिक जुड़ें और अपनी बात रखें। राहुल के साथ ही राष्ट्रीय महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने भी नेताओं से कहा कि भाजपा सहित अन्य विपक्षी दल सोशल मीडिया का उपयोग खुद के हित और कांग्रेस के नुकसान के लिए करते हैं, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। सोशल मीडिया के गलत उपयोग पर हमें अपनी बात रखनी चाहिए। इनके अतिरिक्त अन्य कई नेताओं ने भी सोशल मीडिया को लेकर युवक कांग्रेस एवं भारतीय राष्ट्रीय छात्रसंघ से जुड़े युवाओं को प्रशिक्षित करने की बात कही।

प्रियंका ने दी राहुल को बधाई

चिंतन शिविर में राहुल गांधी को पार्टी उपाध्यक्ष बनाए जाने पर उनकी बहन प्रियंका गांधी भी रविवार को उन्हें बधाई देने जयपुर पहुंचीं। बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के प्रियंका दोपहर में अचानक विशेष विमान से जयपुर आई और राजमहल पैलेस होटल पहुंचकर अपने भाई राहुल को बधाई दी। करीब आधा घंटा यहां रुकने के बाद प्रियंका रणथंभौर चली गई। प्रियंका के पति और बच्चे पिछले दो दिन से रणथंभौर में ही हैं।

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