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कश्मीरी पंडितों को धमकियां, घर छोड़ मंदिर में शरण लेने को मजबूर

आतंकी बुरहान वानी की मौत से उपजी हुई हिंसा के बाद मिल रही धमकियों से कश्मीरी पंडितों ने अपने घर छोड़ कर मंदिरों में शरण ली है।

By kishor joshiEdited By: Updated: Tue, 12 Jul 2016 09:17 AM (IST)
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रजिया नूर, श्रीनगर। कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद उपजी हिंसा की चपेट में कश्मीरी पंडित भी आए हैं। पुलवामा हाल क्षेत्र में रिहायशी कॉलोनियों में रह रहे विस्थापित कश्मीरी पंडितों पर हिंसक भीड़ ने हमले किए और उन्हें धमकियां भी दीं।

सहमें डेढ़ दर्जन पंडित घरों से भाग कर श्रीनगर के स्थानीय मंदिर में शरण लेने पर मजबूर हो गए हैं। उस कॉलोनी में अभी भी 90-95 पंडित फंसे हैं। अलबत्ता, प्रशासन ऐसी किसी भी घटना से इन्कार कर रहा है।

अलगाववादियों ने दो दिन अौर बंद का एलान किया

जम्मू-कश्मीर में जारी हिंसा के बीच अलगाववादियों ने अौर दो दिन बंद का एलान किया है। इधर जम्मू-कश्मीर के कई क्षेत्रों में अभी भी कर्फ्यू जारी है। घाटी में किसी भी अप्रिय वारदात से निपटने के लिए सुरक्षाबल के जवान मुस्तैद हैं।

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श्रीनगर के गुपकार इलाके में स्थित माता जेष्ठा मंदिर में शरण लेने वाले विस्थापित कश्मीरी पंडितों का आरोप था कि आठ जुलाई शाम को जैसे ही बुरहान वानी की मौत की खबर फैली तो पुलवामा हाल क्षेत्र में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। पहले तो क्षेत्र के गली-कूचों में प्रदर्शन होते रहे लेकिन जैसे-जैसे रात गुजरती गई तो हिंसा पर उतारू भीड़ जिनकी संख्या हजारों में थी, ने उनके रिहायशी क्वार्टरों पर पत्थर बरसाने लगे।

रिहायशी क्वार्टरों की तैनात पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए हवा में गोली भी चलाई। बावजूद प्रदर्शनकारी क्वार्टरों पर लगातार पत्थर बरसाते रहे। साथ ही इंडियन डाग्स गो बैक की नारेबाजी भी की। भीड़ ने चेताया कि यदि तुम लोग (इन क्वार्टरों में रह रहे कश्मीरी पंडित) वहां से नहीं भागे तो हम तुम्हें मार देंगे। पीडि़तों के अनुसार चेतावनी सुन वह डर गए और उन्होंने पहले जिला प्रशासन और उसके बाद मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री से मदद मांगी लेकिन बकौल किसी ने उनकी सुध लेना गवारा नहीं समझा।

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कॉलोनी में 160 पंडित रह रहे

हाल पुलवामा में स्थापित रिहायशी कॉलोनी में वह विस्थापित कश्मीरी पंडित रह रहे हैं जिन्हें वर्ष 2010 में प्रधानमंत्री विशेष इंप्लाइमेंट पैकेज के तहत वादी के विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरियां उपलब्ध कराई गई थी। इस समय उस कॉलोनी में 160 कश्मीरी पंडित रह रहे हैं।