महाराष्ट्र: विनोद तावड़े ठेके में धांधली के आरोप से किया इन्कार
महाराष्ट्र की महिला बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे के बाद अब शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े पर बिना ई-टेंडर के 191 करोड़ का ठेका देने का आरोप लगा है। राज्य के वित्त विभाग ने इस ठेके पर रोक लगाते हुए मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। वहीं तावड़े ने
By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Tue, 30 Jun 2015 12:32 PM (IST)
मुंबई। महाराष्ट्र की महिला बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे के बाद अब शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े पर बिना ई-टेंडर के 191 करोड़ का ठेका देने का आरोप लगा है। राज्य के वित्त विभाग ने इस ठेके पर रोक लगाते हुए मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। वहीं तावड़े ने ठेके में अनियमितता से इन्कार किया है।
शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े पर स्कूलों के लिए आग बुझाने वाले यंत्र की खऱीद का ठेका बिना ई-टेंडर के ही ठाणे की एक कंपनी को दिए जाने का आरोप है। राज्य के 62 हजार 105 स्कूलों के लिए तीन-तीन अग्निशामक यंत्र खरीदे जाने थे। हरेक अग्निशाम की यंत्र की कीमत 8321 रुपये थी। 11 फरवरी 2015 को ठेका दिया गया और मार्च में इस पर रोक लगा दी गई। जिस ठेकेदार को ठेका दिया गया है वह महाराष्ट्र सरकार की सरकारी सूची में शामिल भी नहीं रहा है, लेकिन वह केंद्र सरकार के ठेकेदार की सूची में शामिल है। 22 जुलाई, 2004 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी सरकारी और निजी स्कूलों में आग बुझाने वाले उपकरण लगाने के आदेश दिए थे।
तावड़े ने अपनी सफाई में कहा है कि ये ठेका 191 करोड़ का नहीं बल्कि 6 करोड़ का है। उन्होंने आगे कहा कि हमने ठेकेदार को एक पैसा भी नहीं दिया है। साथ ही जांच के भी आदेश दिए हैं। तावड़े इस आरोप से इन्कार कर रहे हैं कि उन्होंने ई-टेंडर जैसी प्रक्रिया के पालन में कोई कोताही बरती। तावड़े ने कहा है कि अग्निशामकों की खरीद का फैसला पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने लिया था। लेकिन आचारसंहिता के लागू होने के कारण यह बीच में रुक गया था। उन्हाेंने कहा कि खरीद में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है।
तावड़े ने अपनी सफाई में कहा है कि ये ठेका 191 करोड़ का नहीं बल्कि 6 करोड़ का है। उन्होंने आगे कहा कि हमने ठेकेदार को एक पैसा भी नहीं दिया है। साथ ही जांच के भी आदेश दिए हैं। तावड़े इस आरोप से इन्कार कर रहे हैं कि उन्होंने ई-टेंडर जैसी प्रक्रिया के पालन में कोई कोताही बरती। तावड़े ने कहा है कि अग्निशामकों की खरीद का फैसला पिछली कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने लिया था। लेकिन आचारसंहिता के लागू होने के कारण यह बीच में रुक गया था। उन्हाेंने कहा कि खरीद में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है।