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अग्नि-5: पी-5 क्लब का एंट्री टिकट!

अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ ही भारत ने दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्कों के क्लब 'पी-5' पर विस्तार के लिए दबाव बढ़ा दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाच देशों-अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रास और चीन के 'विशिष्ट समूह' में शामिल होने के लिए पहले से दरवाजा खटखटा रहे भारत ने अग्नि-5 के जरिये अपनी दावेदारी और मजबूत कर दी है

By Edited By: Updated: Fri, 20 Apr 2012 03:48 PM (IST)

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ ही भारत ने दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्कों के क्लब 'पी-5' पर विस्तार के लिए दबाव बढ़ा दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच देशों-अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के 'विशिष्ट समूह' में शामिल होने के लिए पहले से दरवाजा खटखटा रहे भारत ने अग्नि-5 के जरिये अपनी दावेदारी और मजबूत कर दी है। अमेरिका और नाटो मुल्कों ने भी इस परीक्षण के बाद भारत को जिम्मेदार बताकर उसके रुतबे को स्वीकार्यता दी है।

भारत की पहली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल [आइसीबीएम] के सफल परीक्षण केबाद रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी सुरक्षा परिषद में भारतीय दावेदारी को और पुख्ता किया। परीक्षण के बाद एंटनी का कहना था,'आज देश का कद बढ़ गया है। हम विशिष्ट देशों के क्लब में शामिल हो गए हैं।' उनका इशारा आइसीबीएम क्षमता वाले पी-5 के ताकतवर मुल्कों की तरफ ही था। अभी तक यह प्रौद्योगिकी सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों के पास ही थी। इस लिहाज से भारत ने स्थायी सदस्यता के लिए दावेदारी कर रहे दूसरे देशों ब्राजील, जर्मनी, जापान और दक्षिण अफ्रीका के आगे एक लंबी लाइन खींच दी है। इनमें से किसी भी देश के पास आइसीबीएम क्षमता अभी तक नहीं है।

वैसे भी अमेरिका के साथ नाभिकीय करार के बाद भारत को पी-5 प्लस वन जैसा एक विशिष्ट दर्जा दिया गया है। भारत ने एनपीटी और सीटीबीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, लिहाजा उसे यह बिल्कुल अलग दर्जा दिया गया है। हालांकि, भारतीय राजनयिक सूत्र मानते हैं कि इस सफलता भर से सुरक्षा परिषद में भारत का रास्ता आसान नहीं होता, लेकिन जाहिर तौर पर उसके दावे को एक मजबूती तो मिलती ही है।

खास बात है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अग्नि-5 के सफल प्रक्षेपण के बाद किसी बड़े मुल्क की नकारात्मक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। बावजूद इसके कि अग्नि-5 की जद में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन के भी कई मुल्क हैं। फिर भी नाटो की प्रतिक्रिया आई है कि 'भारत का परमाणु अप्रसार रिकॉर्ड बेहद अनुशासित, शांतिपूर्ण और शानदार रहा है। हमें उससे कोई खतरा नहीं है।' अमेरिका ने भी भारत को जिम्मेदार देश बताते हुए सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, जबकि चीन ने भी अपने मीडिया से अलग इस बारे में संयमित बयान दिया है और कहा है कि भारत उसका प्रतिद्वंद्वी नहीं है।

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