राइन की तर्ज पर साफ होगी गंगा, भारत और जर्मनी ने किया समझौता
प्रदूषण की समस्या को मात देकर फिर से निर्मल हुई यूरोप की राइन नदी की तर्ज पर ही गंगा की सफाई होगी। भारत ने इस संबंध में नमामि गंगे कार्यक्रम के लिए जर्मनी के साथ एक समझौता किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रदूषण की समस्या को मात देकर फिर से निर्मल हुई यूरोप की राइन नदी की तर्ज पर ही गंगा की सफाई होगी। भारत ने इस संबंध में नमामि गंगे कार्यक्रम के लिए जर्मनी के साथ एक समझौता किया है। जर्मनी राइन के अनुभव के आधार पर गंगा को निर्मल बनाने में भारत की मदद करेगा।
गंगा को निर्मल बनाने के लिए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय तथा जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी जीआइजेड के बीच इस संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। समझौते के तहत जर्मनी गंगा को निर्मल बनाने के प्रयासों की शुरुआत उत्तराखंड से करेगा और उसके बाद दूसरे प्रदेशों में इसके तहत काम किया जाएगा। जर्मनी शुरुआत में इसके लिए 22.18 करोड़ रुपये की मदद भी देगा। यह परियोजना 2016 से 2018 तक तीन साल चलेगी। राइन के साथ-साथ सरकार डेन्यूब नदी के अनुभव से भी गंगा को निर्मल बनाने के लिए इस्तेमाल करेगी।
उल्लेखनीय है कि दैनिक जागरण ने पिछले साल 'गंगा के नाम, राइन की पाती शीर्षक से विशेष खबरों की श्रंखला प्रकाशित की थी। इस श्रृंखला में बताया गया था कि किस तरह जर्मनी तथा यूरोप के अन्य देशों ने मिलकर राइन नदी को निर्मल बनाया। तब से ही सरकार लगातार जर्मनी के साथ इस संबंध में समझौते पर चर्चा कर रही थी। इससे पूर्व 2014 में दैनिक जागरण ने 'गंगा जागरण अभियान के तहत लगातार एक महीने तक गंगा में प्रदूषण की समस्या को उजागर किया था। साथ ही 19 देशों ने किस तरह मिलकर डेन्यूब को साफ किया है, उसकी कहानी भी इस अभियान में उदाहरण के तौर पर पेश की थी।
भारत-जर्मनी के बीच यह समझौता केंद्रीय जल संसाधन सचिव शशिशेखर और जर्मनी के भारत में राजदूत डा. मार्टिन नेय ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर शशिशेखर ने कहा कि जर्मनी के तकनीकी ज्ञान से भारत को गंगा में प्रदूषण की समस्या दूर करने में काफी मदद मिलेगी। यह भारत के लिए फलदायी होगा। उन्होंने कहा कि अब गंगा की सफाई का कार्य और तेज गति से होगा। जर्मनी के राजदूत ने कहा कि उनका देश गंगा के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को समझता है। जर्मनी मां गंगा को निर्मल बनाने के लिए बेहतर से बेहतर प्रयास करेगा।
निर्मल गंगा के लक्ष्य को पूरा करने के लिए जर्मनी शहरी स्वच्छता कार्यक्रमों और औद्योगिक उत्पादन को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की प्रक्रिया में मदद करेगा। साथ ही राइन नदी के लिए तैयार की गई नदी बेसिन प्रबंधन योजना से भी भारत सीख लेगा।
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