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जदयू व रालोद के विलय पर सहमति, झाविमो के भी शामिल होने की संभावना

बिहार में तो 'एक झंडा और एक निशान' कुछ कारणों से संभव नहीं हो सका, लेकिन उत्तर प्रदेश में जदयू और रालोद इसकी तैयारी लगभग पूरी कर चुके हैं।

By Sachin BajpaiEdited By: Updated: Wed, 16 Mar 2016 09:02 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । बिहार में तो 'एक झंडा और एक निशान' कुछ कारणों से संभव नहीं हो सका, लेकिन उत्तर प्रदेश में जदयू और रालोद इसकी तैयारी लगभग पूरी कर चुके हैं। मंगलवार को दिल्ली में नीतीश कुमार और अजित सिंह के साथ साथ दोनों दलों के शीर्ष नेताओं की लंबी बैठक में यह मन बन गया है कि अब देर नहीं होनी चाहिए। जदयू और रालोद के साथ-साथ बाबूलाल मरांडी की झारखंड विकास मोर्चा का भी विलय होने की तैयारी हो गई है। इस बैठक में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी मौजूद थे।

हालांकि जदयू और रालोद के बीच विलय को लेकर पहले ही संकेत स्पष्ट था, मंगलवार को बैठक के बाद जदयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि अगले एक दो दिनों में इसकी घोषणा कर दी जाएगी। बैठक में शरद यादव, जयंत चौधरी, वशिष्ठ नारायण समेत कई अन्य नेता मौजूद थे। त्यागी ने बताया कि दोनों दलों के शीर्ष नेताओं के बीच सहमति थी कि दोनों दलों की नीति-रीति एक रही है। लिहाजा फिर से इकट्ठा होकर ही आगे की लड़ाई लड़नी चाहिए। यह तय हुआ कि लोहिया और चौधरी चरण सिंह की विरासत बंटी हुई नहीं दिखनी चाहिए।

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यह विलय मुख्यत: उत्तर प्रदेश चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। ध्यान रहे कि पीस पार्टी समेत कुछ अन्य छोटे दलों को भी पहले ही साधा जा चुका है। बिहार में महागठबंधन के शिल्पकार रहे प्रशांत किशोर भी इस नए सियासी विलय में भूमिका निभा रहे हैं। बिहार के महागठबंधन की तर्ज पर ही उत्तर प्रदेश में भी कुछ वही दांव चलने के लिहाज से बाद में कांग्रेस को भी साथ जोड़ा जा सकता है। इसी कड़ी में झारखंड विकास मोर्चा के विलय की भूमिका भी तैयार हो गई है।

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नीतीश तो बुधवार को वापस बिहार लौट जाएंगे, लेकिन उत्तर प्रदेश के लिहाज से अहम माने जा रहे इस गठजोड़ के संयोजक की भूमिका के.सी त्यागी को सौंपी जा सकती है। यह बैठक भी उन्हीं के घर पर हो रही थी। त्यागी ने कहा कि उत्तर प्रदेश एक तरह से इस नई राजनीति का परीक्षण केंद्र होगा। जाहिर है कि सोच बिहार व उत्तर प्रदेश के आगे अगले लोकसभा चुनाव तक की है।