कैसे सुधरे हवा.. ढाई साल में ढाई कोस भी नहीं बढ़ पाई दिल्ली व पड़ोसी सरकारें
पराली जैसी समस्या का अधिकतम छह महीने के भीतर समाधान खोज निकालने की बात कही गई थी, लेकिन हकीकत सबके सामने है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का हाल कमोवेश ठीक वैसा ही है, जैसा ढाई साल पहले यानी दिसंबर 2015 में था। उस समय केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर एक कार्ययोजना तैयार की गई थी। इसके तहत वायु प्रदूषण से जुड़ी प्रत्येक समस्याओं का निपटारा एक तय समय-सीमा में करने का दावा किया गया था। पराली जैसी समस्या का अधिकतम छह महीने के भीतर समाधान खोज निकालने की बात कही गई थी, लेकिन हकीकत सबके सामने है।
प्रतिबंध के बावजूद भी हरियाणा और पंजाब के कई हिस्सों में अभी इसे पराली खुलेआम जलाई जा रही है। इसके अलावा वाहनों से होने वाले उत्सर्जन के स्तर को भी तीन महीने के भीतर कम करना था। इसके तहत कई बड़े उपाय करने थे। जो पूरी तरह से अभी तक अमल में नहीं लिए जा सके है। इसके अलावा उद्योग से होने वाले वायु प्रदूषण के स्तर को भी घटाने की बात कही गई थी, इसके तहत प्रत्येक उद्योग को एक एक्शन प्लान तैयार करना था।
वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली सहित एनसीआर के क्षेत्र में आने वाले राज्यों की हालत यह है कि अभी तक एक भी राज्य वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अपना एक्शन प्लान ही नहीं बना पाया है। इसका खुलासा हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हर्ष वर्द्धन के साथ राज्यों की हुई बैठक में सामने आया है। इस दौरान सभी राज्यों ने एक्शन प्लान तैयार करने की जानकारी दी, जबकि उसी समय यह तय कर लिया गया था, कि सभी राज्य एक साल के भीतर अपना एक्शन प्लान तैयार कर लेंगे। खासबात यह है कि दिल्ली और एनसीआर के क्षेत्र में आने वाले राज्यों के साथ वायु प्रदूषण से निपटने को लेकर यह समयसीमा दिसंबर 2015 में तय की गई थी। उस समय तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इन सभी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के साथ एक बैठक भी की थी।
दिल्ली-एनसीआर के पर्यावरण मंत्री के साथ जल्द हो सकती है बैठक
वायु प्रदूषण पर रोकथाम के लिए तय की गई समयसीमा पर राज्यों के ढुलमुल रवैए से नाराज केंद्र ने जल्द ही दिल्ली और एनसीआर के क्षेत्र में आने वाले राज्यों(उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और राजस्थान) के पर्यावरण मंत्रियों की एक बैठक बुलाने का तैयारी में है। इसे लेकर मंत्रालय स्तर पर चर्चा शुरु हो गई है। माना जा रहा है कि इस बैठक में केंद्र सरकार राज्यों से इससे निपटने के लिए दी गई समय सीमा को लेकर जबाव-सवाल कर सकती है। राज्यों के ढुलमुल रवैये का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले महीने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इसी मुद्दे पर दिल्ली-एनसीआर के पर्यावरण मंत्रियों की एक बैठक बुलाई थी, इसमें किसी भी राज्य पर्यावरण मंत्री ने पहुंचा।
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