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मुजफ्फरनगर दंगे पर सांसत में सपा सरकार

मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर विपक्षी हमले से सांसत में आई उत्तर प्रदेश की सपा सरकार को सफाई के बोल नहीं सूझ रहे। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव शांत हैं तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जो बोला वह विरोधाभासी है। उन्होंने एक न्यूज चैनल के स्टिंग ऑपरेशन को कट-पेस्ट का खेल बताया लेकिन उसके प्रसारण के कुछ घंटे के भीतर ही स्क्रीन पर दिखे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी कर दी। अपने तीखे तेवरों के लिए पहचाने जाने वाले प्रदेश के मंत्री आजम खां जब दंगे के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने लगे तो उनके स्वर भी मद्धिम पड़ गए।

By Edited By: Updated: Thu, 19 Sep 2013 12:18 AM (IST)
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जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर विपक्षी हमले से सांसत में आई उत्तर प्रदेश की सपा सरकार को सफाई के बोल नहीं सूझ रहे। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव शांत हैं तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जो बोला वह विरोधाभासी है। उन्होंने एक न्यूज चैनल के स्टिंग ऑपरेशन को कट-पेस्ट का खेल बताया लेकिन उसके प्रसारण के कुछ घंटे के भीतर ही स्क्रीन पर दिखे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी कर दी। अपने तीखे तेवरों के लिए पहचाने जाने वाले प्रदेश के मंत्री आजम खां जब दंगे के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने लगे तो उनके स्वर भी मद्धिम पड़ गए।

उत्तर प्रदेश की महज डेढ़ साल पुरानी अखिलेश सरकार पहली बार इतनी मुश्किल महसूस कर रही है। मुजफ्फरनगर में पिछले हफ्ते हुए दंगे को लेकर सपा के समर्थन से चल रही केंद्र सरकार भी उस पर हमलावर है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मुजफ्फरनगर जाकर दंगा पीड़ितों की मिजाजपुर्शी कर आई हैं तो केंद्र के मंत्री सपा सरकार पर हमलावर हैं। रालोद अध्यक्ष व उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने तो उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग कर दी है। आमतौर पर सपा के प्रति तीखे प्रहार से बचने वाले भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी बुधवार को सपा सरकार की बर्खास्तगी की मांग कर डाली, तो लखनऊ में उनकी पार्टी के नेताओं ने आजम खां की गिरफ्तारी की मांग की है। उप्र में प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका वाली बसपा तो वहां पर राष्ट्रपति शासन की मांग अरसे से कर रही है। कुल मिलाकर जो तस्वीर बन रही है उसमें उत्तर प्रदेश में और उसके बाहर मुलायम सिंह की सपा और उसकी प्रदेश सरकार फिलहाल अकेले और अलग-थलग नजर आ रहे हैं।

मुलायम के लिए सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि मुस्लिम संगठनों के नेता भी सपा सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं। यहां तक कि राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त मौलाना तौकीर रजा भी सरकार की ही मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। हां, जमीयत उलेमा हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने आजम खां का पक्ष लेते हुए कहा कि दंगे के दोषी अधिकारी अपना पाप छुपाने के लिए उन (आजम) पर आरोप लगा रहे हैं। हिंसा में 47 लोग मारे गए हैं और करीब 75 हजार दंगा पीड़ित लोग घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। अदालत ने विरोधी दलों के जनप्रतिनिधियों समेत 16 लोगों की गिरफ्तारी के लिए गैर जमानती वारंट भी जारी कर दिए हैं। बावजूद इसके राजनीतिक नफा-नुकसान के आकलन में फंसी उप्र सरकार गिरफ्तारी से हिचक रही है। सपा अल्पसंख्यकों को नाराज करना नहीं चाहती, तो बहुसंख्यकों का गुस्सा मोल लेना नहीं चाह रही। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार इसी गुणा-भाग में फंसी सरकार आने वाले दिनों में जांच के नाम पर अपने किसी खास मंत्री की बलि चढ़ा दे तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।

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इनसेट--

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एडीजी अरुण ने जताई उप्र छोड़ने की इच्छा

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश के बदले हालात और चुनौतियों के बीच अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) अरुण कुमार ने उत्तर प्रदेश छोड़ने की इच्छा जताई है। उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए सरकार को अर्जी दी है। उनके इस कदम को सांप्रदायिक दंगों में पुलिस के ऊपर उठ रहे सवालों और प्रदेश की राजनीतिक स्थिति से जोड़कर देखा जा रहा है। इस संदर्भ में अरुण कुमार से बात नहीं हो सकी, क्योंकि इस खबर के चर्चा में आने के बाद उन्होंने अपना फोन बंद कर लिया। अरुण कुमार की छवि तेज-तर्रार पुलिस अधिकारी की है और उन्हें बेहतर प्रशासन देने के लिए जाना जाता है। उनकी तैनाती जिस पद पर है, उसे पुलिस महानिदेशक के बाद पुलिस का सबसे प्रभावशाली पद माना जाता है। बताया गया है कि मुजफ्फरनगर में तनाव के दौर में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर सुभाष चंद्र दुबे की तैनाती उन्हीं की सलाह पर की गई थी लेकिन चंद रोज बाद ही उन्हें निलंबित कर दिए जाने से अरुण को झटका लगा।

किसने, क्या कहा

'भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर माहौल में जहर घोला है। इन दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।'

- अखिलेश यादव, मुख्यमंत्री उप्र

'गलत ढंग से फंसाए गए भाजपा विधायकों को उप्र सरकार गिरफ्तार करके दिखाए। यदि पुलिस ने ऐसा किया तो उसको गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।'

- उमा भारती, वरिष्ठ भाजपा नेत्री।

'साफ हो गया है कि सपा सरकार पश्चिम उत्तर प्रदेश के सांप्रदायिक दंगों को रोक पाने में पूरी तरह विफल रही। राजनीतिक दबाव में अधिकारियों को कार्रवाई करने से रोका गया।'

- मीम अफजल, प्रवक्ता कांग्रेस पार्टी।

'सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुसलमानों के विश्वास को तोड़ा है। आजम खां का तो नाम भी नहीं लेना चाहता।'

-अहमद बुखारी, दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम

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