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बिना पढ़ाए वेतन लेते थे कुमार विश्वास!

नैतिकता और सिद्धांत की दुहाई देने वाले आप नेता कुमार विश्वास भी बिना पढ़ाए वेतन उठाते थे। उन पर यह आरोप कोई और नहीं बल्कि उनके सहयोगी टीचर लगा रहे हैं। एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के अनुसार, कुमार विश्वास साहिबाबाद के लाला लाजपत राय कॉलेज में हिन्दी पढ़ाते थे। कॉलेज के शिक्षकों के अनुस

By Edited By: Updated: Thu, 30 Jan 2014 03:13 PM (IST)
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नई दिल्ली। नैतिकता और सिद्धांत की दुहाई देने वाले आप नेता कुमार विश्वास भी बिना पढ़ाए वेतन उठाते थे। उन पर यह आरोप कोई और नहीं बल्कि उनके सहयोगी टीचर लगा रहे हैं।

एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर के अनुसार, कुमार विश्वास साहिबाबाद के लाला लाजपत राय कॉलेज में हिन्दी पढ़ाते थे। कॉलेज के शिक्षकों के अनुसार, कुमार विश्वास सामाजिक जीवन में नैतिकता और सिद्धांत की जमकर दुहाई देते हैं, परंतु कॉलेज सहयोगियों के बीच उनका दूसरा ही चेहरा सामने है। स्टडी लीव पर चल रहे कुमार विश्वास शायद ही कोई क्लास लेते थे। प्रिंसिपल एसडी कौशिक के अनुसार, सरकारी नौकरी के दौरान कोई भी कर्मचारी कमाई के लिए दूसरा धंधा नहीं कर सकता। परंतु कुमार विश्वास बिना क्लास लिए हर महीने अपना वेतन लेते थे। इसके साथ ही वह कविता पाठ के जरिए भी अपनी कमाई करते थे। कौशिक ने कुमार विश्वास पर सवालिया निशान लगाते हुए पूछा है कि क्या यह अनैतिक और सिद्धांत के खिलाफ नहीं है?

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आप के लिए मुसीबत बने कुमार विश्वास

'तो हजार बार माफी मांगूंगा'

उल्लेखनीय है 1990 में दिल्ली से 50 किलोमीटर दूर हापुड़ में कुमार विश्वास ने पहली बार 100 रुपये लेकर एक प्रोग्राम में कविता प्रस्तुत की थी। अब कुमार विश्वास एक प्रोग्राम के लिए 1.5 से 4 लाख रुपये तक लेते हैं। कुमार के एक साथी कवि और पत्रकार चेतन आनंद ने बताया कि उनके पास बोलने की कला शानदार है। वह युवाओं को रोमांटिक और आसान हिन्दी कविता के जरिए दीवाना बना देते हैं। वह किसी भी मंच पर आकर बड़ी संख्या में उपस्थित भीड़ को हिलने का भी मौका नहीं देते। चेतन का कहना है कि कुमार विश्वास ने अपना नया दर्शक वर्ग तैयार किया। इसमें आईआईटी से लेकर आईआईएम तक है। शायद इसी क्षमता को ध्यान में रखकर अरविंद केजरीवाल भी कुमार विश्वास को खास तवज्जो देते हैं।

पिता को नहीं पुत्र पर विश्वास

कुमार विश्वास के पिता चंद्रपाल शर्मा की नजर में उनका 43 साल वर्षीय पुत्र जिद्दी, लापरवाह और स्वाभिमानी हैं। उनका कहना है विश्वास हमेशा घर को चुनौती देता रहा। कवि से नेता बनना भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। शर्मा का मानना है कि यदि उनका बेटा अमेठी में राहुल गांधी को हरा देता है, तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। उन्हें अपने बेटे की जीत पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। दिल्ली में ही किसी सीट से लड़ने की पिता की सलाह को कुमार विश्वास ने ठुकराते हुए कहा था कि मेरा फैसला अटल है। मैं चुनाव लड़ूंगा तो अमेठी से ही। शर्मा के अनुसार विश्वास कभी भी उनकी नहीं सुनता। वह जैसा सोचता है, वैसा ही करता है।

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