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चुनावी राज्यों में भाजपा के पेंच कसने में जुटे शाह

भाजपा के केंद्रीय संगठन में हुए नेतृत्व बदलाव के बाद अब कुछ प्रदेशों में भी चेहरे बदल सकते हैं। चार राज्यों में जहां जल्द ही नए अध्यक्ष नियुक्त होंगे, वहीं चुनावी राज्यों को ताकीद कर दी गई है कि विधानसभा चुनाव में भी लोकसभा जैसा ही प्रदर्शन होना चाहिए। मंगलवार को झारखंड और महाराष्ट्र के नेताओं के साथ चर्चा में र

By Edited By: Updated: Wed, 16 Jul 2014 07:23 AM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भाजपा के केंद्रीय संगठन में हुए नेतृत्व बदलाव के बाद अब कुछ प्रदेशों में भी चेहरे बदल सकते हैं। चार राज्यों में जहां जल्द ही नए अध्यक्ष नियुक्त होंगे, वहीं चुनावी राज्यों को ताकीद कर दी गई है कि विधानसभा चुनाव में भी लोकसभा जैसा ही प्रदर्शन होना चाहिए। मंगलवार को झारखंड और महाराष्ट्र के नेताओं के साथ चर्चा में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उनसे कुछ बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी जिसमें प्रदेश अध्यक्ष के कार्यकाल में हुए कार्यक्रमों से लेकर संगठन में बदलाव तक कई सवाल पूछे गए थे।

अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद शाह मंगलवार से पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं। दरअसल,उन्हें अहसास है कि पहली चुनौती वे राज्य है जहां अगले कुछ महीनों में ही विधानसभा चुनाव होने है। महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, झारखंड जैसे राज्य जहां भाजपा सत्ता से बाहर है। उत्तर प्रदेश में दिखाए गए संगठनात्मक और चुनावी चमत्कार की आशा शाह से यहां भी की जाएगी। मंगलवार को उन्होंने महाराष्ट्र व झारखंड के नेताओं के साथ अलग-अलग बैठक की।

बताते हैं कि शाह ने उन्हें ताकीद की है कि राज्य में कोई भी गुटबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चुनाव हर किसी को मिलकर लड़ना होगा और टिकट सिर्फ जीतने की योग्यता पर तय होगा। ध्यान रहे कि इन सभी चुनावी राज्यों में चेहरे को लेकर आपसी खींचतान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नाराजगी जताने से परहेज नहीं कर पाए थे। कुछ दिनों पहले उन्होंने हरियाणा के नेताओं से कहा था कि वहां तो हर कोई मुख्यमंत्री बना घूम रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद महाराष्ट्र में भी नेतृत्व को लेकर असमंजस है। दावेदारी शुरू होने लगी है। झारखंड में जहां अर्जुन मुंडा खेमा खुद को चेहरा बताता रहा है, वहीं यशवंत सिन्हा की पीठ पर लालकृष्ण आडवाणी के हाथ ने नेतृत्व को लेकर चर्चा छेड़ दी थी।

यही कारण था कि संबंधित राज्यों को कुछ बिंदुओं पर तैयार होकर आने को कहा गया था। मसलन, संगठन की स्थिति, राज्य में गठबंधन की जरूरत और संभावनाएं, प्रदेश अध्यक्ष के काल में हुई तैयारियां और कार्यक्रम आदि। यूं तो चुनावी राज्यों में बदलाव की संभावना कम है लेकिन इसे पूरी तरह नकारा भी नहीं जा सकता है। ज्ञात हो, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत कुछ अन्य राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष का पद भी रिक्त है। बताते हैं कि वहां जल्द ही नए अध्यक्ष बनाए जाएंगे। दरअसल शाह को अपनी टीम का गठन भी जल्द करना है। पुरानी टीम के चार महासचिव का पद खाली है।

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