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अब छोटे साथियों को मनाएंगे अमित शाह

शिवसेना-भाजपा के बीच सीटों का झगड़ा सुलझने के बाद अब इनके साथी छोटे दल अपने लिए बचीं विधानसभा चुनाव की सीटों को लेकर बिदकने लग हैं। माना जा रहा है कि गुरुवार को मुंबई आ रहे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से इन दलों की बातचीत के बाद ही कोई फैसला हो सकेगा। हालांकि, इन दलों को शिवस

By Edited By: Updated: Wed, 24 Sep 2014 10:08 PM (IST)
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मुंबई, राज्य ब्यूरो। शिवसेना-भाजपा के बीच सीटों का झगड़ा सुलझने के बाद अब इनके साथी छोटे दल अपने लिए बचीं विधानसभा चुनाव की सीटों को लेकर बिदकने लग हैं। माना जा रहा है कि गुरुवार को मुंबई आ रहे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से इन दलों की बातचीत के बाद ही कोई फैसला हो सकेगा। हालांकि, इन दलों को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से सम्मानजनक संख्या में सीटें मिलने का आश्वासन मिला है जिसके बाद इनके महागठबंधन में बने रहने का संकेत मिला है।

करीब पंद्रह दिनों तक चले गतिरोध के बाद शिवसेना-भाजपा ने अपना सीटों का विवाद मंगलवार की शाम सुलझा लेने का दावा किया था। उसके बाद से ही इन दलों के साथ जुड़े छोटे दल सीटों की मांग को लेकर अड़े हुए हैं। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन, राष्ट्रीय समाज पक्ष, शिवसंग्राम सेना एवं रिपबल्किन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के नेताओं के साथ मंगलवार देर रात तक चली बैठक के बावजूद कोई हल नहीं निकल सका। शिवसेना-भाजपा स्वयं क्रमश: 151 एवं 130 सीटें लेकर चारों छोटे दलों को सात सीटें देकर निपटाना चाहते थे, जो इन दलों को मंजूर नहीं था। चूंकि इनमें से रिपब्लिकन पार्टी को छोड़कर शेष दल भाजपा के कारण ही गठबंधन से जुड़े थे, इसलिए उनका गुस्सा भी भाजपा पर ही फूट रहा है। साथ ही भाजपा अध्यश्र देवेंद्र फड़नवीस ने स्पष्ट कर दिया है कि महागठबंधन के छोटे दलों को साथ लिए बिना भाजपा भी गठबंधन में नहीं रहेगी।

समझौता न हो पाने से तीखे तेवर अपनाने वाले स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता सदाभाऊ खोत का कहना है कि हम अपने स्वाभिमान से समझौता करके गठबंधन में नहीं रहेंगे। उनके अनुसार, भाजपा दबाव बनाकर सिर्फ अपनी सीटें बढ़वाना चाहती थी। राष्ट्रीय समाज पक्ष के नेता महादेव जानकर को भी लगता है कि भाजपा ने उनके कंधे पर बंदूक रखकर शिवसेना पर दबाव बनाया और अपनी सीटें बढ़वाने के बाद छोटे साथियों की उपेक्षा कर रही है। उन्होंने यहां तक कहा कि भाजपा ने मीठा-मीठा बोलकर पीठ में खंजर भोंका है। जानकर ने घोषणा की है कि सम्मानजनक सीटें न मिलने की स्थिति में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन, राष्ट्रीय समाज पक्ष एवं शिवसंग्राम सेना एक साथ लड़ेंगे और भाजपा-शिवसेना को इन दलों के संयुक्त 14 फीसद मतों का नुकसान उठाना पड़ेगा।

छोटे साथी दलों की नाराजगी देखते हुए बुधवार सुबह से ही शिवसेना और भाजपा द्वारा इन्हें मनाने का प्रयास किया जा रहा है। दोपहर बाद शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने इन दलों के नेताओं को अपने निवास मातोश्री बुलाकर उनसे चर्चा की। बताया जाता है कि उद्धव ने अपने कोटे से उन्हें कुछ सीटें देने का आश्वासन दिया है। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन नेता एवं सांसद राजू शेट्टी ने संवाददाताओं को बताया कि उनकी उद्धव ठाकरे के साथ बैठक बहुत सफल रही। हम लोगों ने उन्हें प्रस्ताव दिया है कि शिव सेना 150 सीटों पर लड़े और 120 भाजपा के लिए छोड़े। हम लोग 18 सीटों से संतुष्ट रहेंगे। इसके बाद शाम को इन सभी दलों की भाजपा नेताओं के साथ भी लंबी बैठक चली, लेकिन कोई अंतिम फैसला इस बैठक में भी नहीं हो सका। माना जा रहा है कि गुरुवार को मुंबई आ रहे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से चर्चा के बाद इन दलों को मना लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इन सभी दलों ने मिलकर लोकसभा चुनाव में भाजपा और शिवसेना गठबंधन का साथ दिया था और इसे महायुति यानी महागठबंधन नाम दिया था।

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