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बलूचिस्तान में एक धमाके में खत्म हो गई वकीलों की पूरी पीढ़ी

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के क्वेटा शहर में हुए एक हमले में वकीलों की पूरी पीढ़ी खत्म हो गई है।

By kishor joshiEdited By: Updated: Wed, 10 Aug 2016 04:10 PM (IST)
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नई दिल्ली। बलूचिस्तान पाकिस्तान का ऐसा प्रांत है है जिसे वकीलों की सख्त जरूरत है। क्षेत्रफल की दृष्ट से पाकिस्तान का यह सबसे बड़े प्रांत, दशकों पुराने अलगाववादियों का घर है। यह इलाका हमेशा से ही सुन्नी आतंकियों के निशाने पर रहा है, जिन्होंने बमबारी करके ना जाने कितने अल्पसंख्यकों की जान ली है। इस प्रांत के नेताओं को सबसे भ्रष्ट माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान यहां से दर्जनों स्थानीय पत्रकारों का अपहरण कर लिया गया है। विदेशी पत्रकारों के लिए तो ब्लूचिस्तान में प्रवेश करना भी असंभव है।

बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में सोमवार को हुए एक आतंकी हमले में लगभग 60 वकीलों की मौत हो गई। ये सभी आपातकालीन कक्ष में ठहरे हुए थे। सोशल में तेजी से सर्कुलेट हो रहे एक वीडियो में दिखाई दे रहा है कि विस्फोट से पहले वकील अस्पताल के नजदीक अपनी आगे की रूपरेखा तैयार कर रहे थे। पाकिस्तानी तालिबान (टीटीपी) से संबंधित आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है।

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इससे पहले जून में भी वकीलों पर हमला हुआ था। आतंकियों के निशाने पर लॉ कॉलेज भी था। क्वेटा में हुए हमले में वकीलों की एक पूरी पीढ़ी साफ हो गई। जो बच गए हैं शायद वो भी ब्लूचिस्तान से चले जाएं। इस हमले के बाद वैश्विक प्रतिक्रियाएं ना के बराबर आ रही हैं।

बान कि मून, हिलेरी क्लिंटन और अन्य वैश्विक नेताओं ने संक्षिप्त में अपने बयान जारी किए है। यही हाल पाकिस्तान के हुक्मरानों का भी है। अभी तक कोई भी जिम्मेदार अधिकारी को इसके लिए हिरासत में नहीं लिया गया है। पाकिस्तान के सबसे मशहूर अखबार 'डॉन' की अंग्रेजी वेबसाइट ने अपने होमपेज पर इस बारे में एक दिन पुरानी खबर चलाने के साथ-साथ एक फोटो गैलेरी दिखायी है।

बलूचिस्तान बार काउंसिल के एक सदस्य बरखुरदार खान उन चुनिंदा वकीलों में से एक हैं जो इस हमले में बाल-बाल बच गए। वो पिछले नौ महीने से यहां प्रैक्टिस कर रहे थे। हमले के बाद खान ने सोशल मीडिया पर एक मार्मिक पोस्ट की है, "आज के इस हमले में सभी वरिष्ठ वकील और बैरिस्टर्स की मौत हो गई है। कई जूनियर वकील जो इस हमले में बच गए हैं वो अपने घरों के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे जो अब बेरोजगार हो गए हैं। मारे गए अधिकांश वकीलों में पहली पीढ़ी के शिक्षित थे। इस घटना और इससे हुए नुकसान को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। कई माता-पिता के परिवार से उनका एकमात्र साया छिन गया है। उनके बच्चे अभी भी अपने स्वयं के नुकसान से बेखबर होकर उम्मीद की राह तांकते हुए खेल रहे हैं।"


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(साभार- वाशिंगटन पोस्ट)