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गंगा की लहरों पर 'राजमहल' का सफर

गंगा की लहरों पर पर्यटन व परिवहन का नया आयाम स्थापित करते हुए अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त क्रूज 'राजमहल' शनिवार शाम अपने पहले सफर पर निकला। राजसी वैभव वाला यह दोमंजिला 'राजमहल' शाम 4:30 बजे पटना के गाय घाट से रवाना हुआ व छह दिन में 3

By Edited By: Updated: Sun, 07 Sep 2014 09:30 AM (IST)
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पटना, जागरण संवाददाता। गंगा की लहरों पर पर्यटन व परिवहन का नया आयाम स्थापित करते हुए अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त क्रूज 'राजमहल' शनिवार शाम अपने पहले सफर पर निकला। राजसी वैभव वाला यह दोमंजिला 'राजमहल' शाम 4:30 बजे पटना के गाय घाट से रवाना हुआ व छह दिन में 385 किमी की यात्रा के बाद वाराणसी पहुंचेगा। क्रूज पर सवार पर्यटक रास्ते में पड़ने वाले आधा दर्जन स्थलों का आनंद लेंगे। वाराणसी से 13 सितंबर को क्रूज वापसी करेगा।

असम-बंगाल नेवीगेशन प्राइवेट लिमिटेड का यह क्रूज एमवी शानो- शौकत में राजमहल जैसा ही है। इसमें अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 22 वातानुकूलित कमरे हैं, जिसमें 18 कमरे डबल बेड व चार सिंगल बेड वाले हैं। जहाज में 40 पर्यटकों के रहने की व्यवस्था है। इसके अलावा कैंटीन, लॉन, कॉमन रूम, लॉबी, ई-लाइब्रेरी, आर्ट गैलरी, मेस, सन बाथ लेने की जगह और कैफे एरिया के अलावा अन्य सुविधाएं भी हैं। क्रूज पर दो कैप्टन समेत पर्यटकों की सेवा के लिए 26 लोगों का स्टाफ तैनात हैं। पहले सफर में शामिल सभी 25 महिला-पुरुष पर्यटक जापानी हैं। पर्यटकों का क्रूज पर जापानी अंदाज में स्वागत किया गया। क्रूज के मैनेजर कुणाल सिंह ने बताया कि विदेशी पर्यटक सफर में मनेर, बक्सर, गाजीपुर, सारनाथ, रायनगर व चुनार में रुककर वहां के इतिहास से परिचित होंगे। भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण के निदेशक गुरुमुख सिंह ने बताया कि अक्टूबर से राजमहल क्रूज का परिचालन पटना से वाराणसी तक प्रति माह चार बार होगा। इसके अलावा अक्टूबर से फरवरी तक पटना से कोलकाता के बीच माह में दो बार और मार्च से मई तक कोलकाता से फरक्का के बीच चलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि गंगा में जलमार्ग अब जहाज के अनुकूल बनता जा रहा है।

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