ममता की पार्टी के लिए प्रचार करेंगे अन्ना
राजनीतिक दलों की व्यवस्था को संविधान के खिलाफ बताने वाले अन्ना हजारे अब तृणमूल कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करेंगे। बुधवार को उन्होंने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मिलकर इसका एलान किया। ममता और अन्ना ने बिना नाम लिए अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) पर भी तंज कसे।
By Edited By: Updated: Thu, 20 Feb 2014 08:28 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। राजनीतिक दलों की व्यवस्था को संविधान के खिलाफ बताने वाले अन्ना हजारे अब तृणमूल कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करेंगे। बुधवार को उन्होंने तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मिलकर इसका एलान किया। ममता और अन्ना ने बिना नाम लिए अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) पर भी तंज कसे।
लोकपाल आंदोलन के जरिये पूरे देश को सड़कों पर उतार देने वाले अन्ना ने देश बदलने के लिए अपनी नई योजना पेश की है। उन्होंने कहा है कि अगर देश में सौ सीटों पर भी तृणमूल कांग्रेस को जीत मिल जाए तो ममता के जरिये देश की सूरत बदली जा सकती है। राजनीतिक दलों की व्यवस्था को संविधान विरोधी बताने वाले उनके रुख के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह रुख अब भी कायम है, लेकिन इस चुनाव में वह ममता का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में वह तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए प्रचार भी करेंगे, मगर इसके अगले चुनाव में वे कम से कम सौ लोगों को तैयार करेंगे जो स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ें। अपने नए रुख के बारे में उहोंने कहा कि जिन लोगों को वह संसद में भेजना चाहता हैं और अगर कोई पार्टी उनका समर्थन कर रही है तो समर्थन क्यों नहीं लेना चाहिए?' ममता ने भी कहा कि पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों के बाहर उनका बहुत जनाधार नहीं है। महाराष्ट्र सहित देश के अन्य हिस्सों में अन्ना जो सलाह देंगे, वही किया जाएगा। ममता ने यह भी कहा कि चुनाव के बाद उनके भाजपा या कांग्रेस के साथ जाने का सवाल ही नहीं उठता। अरविंद केजरीवाल को लेकर ममता और अन्ना दोनों ने परोक्ष प्रहार किए। ममता ने कहा कि उनकी सरकार तो गरीबी रेखा से नीचे वालों को मुफ्त बिजली देती है। इसी तरह बिजली की दर घटाने के लिए सब्सिडी का सहारा नहीं लेती। अन्ना ने भी केजरीवाल के बारे में कहा कि उन्होंने पत्र के जरिये उठाए गए मुद्दों का जवाब ही नहीं दिया, ऐसे में उन्हें समर्थन देने का सवाल ही नहीं उठता। केंद्र की नई सरकार से ममता को उम्मीद