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जल संसाधन मंत्रालय की उदासीनता से कटा नमामि गंगे का बजट

केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय का उदासीन रवैयामहत्वाकांक्षी 'नमामि गंगे' कार्यक्रम पर भारी पड़ सकता है। मंत्रालय के ढुलमुल रवैये के चलते चालू वित्त वर्ष में नमामि गंगे के बजट में भारी कटौती हो गयी है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Wed, 02 Mar 2016 05:55 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय का उदासीन रवैयामहत्वाकांक्षी 'नमामि गंगे' कार्यक्रम पर भारी पड़ सकता है। मंत्रालय के ढुलमुल रवैये के चलते चालू वित्त वर्ष में नमामि गंगे के बजट में भारी कटौती हो गयी है। यही वजह है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2016-17 में नमामि गंगे के बजट में बहुत अधिक बढ़ोत्तरी नहीं की है। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि वित्त मंत्री ने डेड़ घंटे से अधिक के अपने बजट भाषण में एक बार भी गंगा का जिक्र नहीं किया।

मंत्रालय की उदासीनता का अंदाजा इससे लगता है कि आम बजट के एक दिन बाद मंगलवार को जब केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती अपने विभाग को मिली धनराशि और कार्यक्रमों की जानकारी देने के लिए मीडिया से मुखातिब हुई तो मंत्रालय सचिव शशिशेखर ने अपने प्रजेंटेशन में गंगा का जिक्र तक नहीं किया। न तो उन्होंने यह बताया कि गंगा के लिए आम बजट मंे कितनी धनराशि आवंटित हुई और न ही यह किचालू वित्त वर्ष में कितनी खर्च हुई है। उन्होंने अपने प्रजेंटेशन के अंत में बस इतना भर कहा कि सवाल-जवाब होने पर वह गंगा के बारे में बता सकते हैं।

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आम बजट 2016-17 के दस्तावेजों को देखने पर पता चलता है कि नमामि गंगे के लिए चालू वित्त वर्ष मंे राष्ट्रीय गंगा योजना के लिए 2,100 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था जिसे संशोधित अनुमानों में घटाकर 1,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस तरह गंगा के बजट में आधे से ज्यादा की कटौती हो गयी है। यही वजह है कि वित्त मंत्री ने अगले वित्त वर्ष के लिए गंगा को मात्र 2,250 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। सूत्रों ने कहा कि गंगा के लिए आवंटित धनराशि मंत्रालय में अनिर्णय की स्थिति के चलते खर्च नहीं हुई। गंगा को निर्मल बनाने का काम किस मॉडल पर हो यह तय करने में भी काफी समय लग गया। इस वजह से पूरी धनराशि खर्च नहीं हो पाई।

हालांकि भारती का कहना है कि उनका मंत्रालय गंगा के प्रति पूरी तरह गंभीर है। नमामि गंगे के लिए सरकार ने पिछले साल 13 मई को 20 हजार करोड़ रुपये की राशि मंजूर की जो कि नॉन लेप्सेबल है। इसलिए धनराशि कम खर्च होने का कोई असर नहीं पड़ेगा। सरकार अक्टूबर 2016 में निर्मल गंगा का पहला परिणाम दिखाएगी।

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