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सेना की रिपोर्ट पर सांसत में सरकार

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सेना की विवादास्पद खुफिया यूनिट के कामकाज को लेकर सेना की जांच रिपोर्ट पर रक्षा मंत्रालय अभी किसी फैसले तक नहीं पहुंच सका है। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह के कार्यकाल में बनी यूनिट की गतिविधियों पर सीबीआइ जांच की सिफारिशों पर अभी विकल्प खुले रखे हैं।

By Edited By: Updated: Fri, 20 Sep 2013 10:18 PM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सेना की विवादास्पद खुफिया यूनिट के कामकाज को लेकर सेना की जांच रिपोर्ट पर रक्षा मंत्रालय अभी किसी फैसले तक नहीं पहुंच सका है। हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह के कार्यकाल में बनी यूनिट की गतिविधियों पर सीबीआइ जांच की सिफारिशों पर अभी विकल्प खुले रखे हैं।

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मंत्रालय ने कहा है कि सरकार इसकी समीक्षा के बाद निर्णय लेगी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि उल्लेखित मुद्दे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील हैं। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक रिपोर्ट का सावधानी से अध्ययन करने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। वैसे इस रिपोर्ट का बाहर आना भी झटका माना जा रहा है।

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टेक्निकल सपोर्ट डिविजन पर मोबाइल फोन टेपिंग से लेकर जम्मू-कश्मीर सरकार के खिलाफ काम करने और गोपनीय कोष के दुरुपयोग के आरोपों पर सेना ने सैन्य अभियान महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया की अगुआई में जांच बैठाई थी। आरोप है कि पूर्व सेना प्रमुख ने खुफिया यूनिट का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर सरकार गिराने की साजिश में भी किया। इसके लिए उन्होंने खुफिया फंड से लगभग सवा करोड़ रुपये मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के मंत्रीमंडल में शामिल कृषि मंत्री गुलाम हसन मीर को भी दिए। हालांकि, मीर ने आरोपों को बेबुनियाद बताया हैं।

सूत्रों के मुताबिक सेना ने इसकी रिपोर्ट मार्च में रक्षा मंत्रालय को सौंपते हुए सीबीआइ जैसी एजेंसी से व्यापक जांच की सिफारिश की थी।

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सेना की ओर से उठाए गए मुद्दों पर सीबीआइ जांच का अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। बताया जाता है कि इस रिपोर्ट में ठोस सुबूतों के अभाव का भी सेना ने हवाला दिया है। अगर रिपोर्ट में सेना की खुफिया यूनिट द्वारा सीमा पार चलाए गए कुछ ऑपरेशन समेत अन्य गतिविधियां समाने आती हैं, तो भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी संकट खड़ा हो सकता है। पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने उनके उत्तराधिकारी के कार्यकाल में हुई जांच को बदले की कार्रवाई करार दिया है।

पूर्व सेपा प्रमुख भाजपा-कांग्रेस में ठनी

पूर्व सेना प्रमुख के बचाव में उतरी भाजपा ने रिपोर्ट के समय पर सवाल उठाए हैं। पार्टी प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने कहा कि वीके सिंह का पीछा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि वह रेवाड़ी की रैली में नरेंद्र मोदी के साथ बैठे थे। इस पर सूचना व प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी का कहना था कि जब भी किसी संस्थान को नुकसान पहुंचाने की बात हो तो उस व्यक्ति के बचाव में भाजपा को सामने आते देखा जाता है।

गौरतलब है कि सेना मुख्यालय ने शिकायतों के बाद इस यूनिट को बंद भी कर दिया और इसमें तैनात अधिकारियों को अन्य स्थानों पर अटैच भी कर दिया है।

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