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देश का 'मान' हजम कर गए बेईमान!

देश की सीमा पर जान की बाजी लगा देने वाले सैनिकों के कल्याण को बेचे जाने वाले झंडे की रकम से अफसरों का कल्याण हो गया। अमरोहा में लाखों रुपये के झंडे बेच अफसर रकम पचा गए और कागजों में चल रहा कल्याण बोर्ड बेसुध बना रहा। वीरों के कल्याण के लिए सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर अधिकाधिक धन संग्रह करने के लिए सैनिक झ्

By Edited By: Updated: Mon, 27 Jan 2014 11:28 AM (IST)
देश का 'मान' हजम कर गए बेईमान!

लखनऊ। देश की सीमा पर जान की बाजी लगा देने वाले सैनिकों के कल्याण को बेचे जाने वाले झंडे की रकम से अफसरों का कल्याण हो गया। अमरोहा में लाखों रुपये के झंडे बेच अफसर रकम पचा गए और कागजों में चल रहा कल्याण बोर्ड बेसुध बना रहा।

वीरों के कल्याण के लिए सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर अधिकाधिक धन संग्रह करने के लिए सैनिक झंडे बेचे जाते हैं। यह झंडे जिला सैनिक कल्याण बोर्ड से हर महकमे को मिलते हैं। झंडे बेचकर जुटाई गई रकम सैनिक कल्याण कोष में जमा होती है मगर अमरोहा जिले में सैनिकों के इस कोष से अफसर कल्याण हो रहा है। अकेले अमरोहा जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में ही सैनिक कल्याण कोष के लाखों रुपये हजम हो गए। बीते चार वर्ष में जोया ब्लाक को बिक्री के लिए दिए गए 73 हजार 900 रुपये के झंडों की रकम का अतापता ही नहीं है। इसी तरह धनौरा ब्लाक में 30 हजार 300 रुपये, गजरौला ब्लाक में 17 हजार रुपये, गंगेश्वरी ब्लाक में 61 हजार 600 रुपये, अमरोहा ब्लाक में 37 हजार 500 रुपये, हसनपुर में 72 हजार 500 रुपये, अमरोहा नगर क्षेत्र में 10 हजार 600 रुपये, हसनपुर नगर क्षेत्र में 43 हजार 200 रुपये की रकम का भी कोई अतापता नहीं। चार सालों में जो रकम सैनिक कल्याण कोष में जमा होनी थी। वो अफसरों, कर्मचारियों के पेट में चली गई। हाल दूसरे विभागों का भी ऐसा ही है। हालांकि इस पर ना जिला सैनिक कल्याण बोर्ड की नजर है और ना ही आला अफसरों की। सो, गुपचुप तरीके से देश की सीमा के रखवालों के इस कोष से अफसरों और कर्मियों का खूब कल्याण हो रहा है।

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हर जिले में सैनिक कल्याण बोर्ड

प्रत्येक जिले में डीएम की अध्यक्षता में सैनिक कल्याण बोर्ड गठित है। इस बोर्ड में प्रत्येक विभाग कच् उच्च अधिकारी सदस्य है। गौरवशाली सैनिक भी इस बोर्ड के सदस्य होते हैं। झंडे बेचकर अधिकाधिक रकम सैनिक कल्याण के लिए जुटाना, सैनिकों की समस्याएं दूर करना आदि इसी बोर्ड का काम है मगर कोई सुध लेने वाला नहीं।

दोगुने से अधिक में बिकते झंडे

सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर जो झंडे बिक्त्री के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं। वो बीस और पचास रुपये वाले होते हैं। कार वाले झंडे का मूल्य पचास रुपये होता है जबकि आयत आकार वाले झंडे का मूल्य बीस रुपये निर्धारित है किन्तु इन झंडों को एक सौ रुपये तक बेचा जाता है।

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