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सेना के भर्ती नियमों में बड़ा बदलाव

सेना में नौकरी की राह तकने वाले नौजवानों का सामना अब बदले हुए नियमों से होगा। वर्षो बाद सेना भर्ती नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए इसे आसान और पारदर्शी बनाने की दिशा में कदम उठाया गया है। कोशिश है कि फाइनल मेरिट लिस्ट में नंबरों की असमानता दूर हो और हर कैटेगरी में अभ्यर्थियों की क्षमता का सही आकल

By Edited By: Updated: Wed, 22 Jan 2014 09:55 AM (IST)
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[साजिद रजा खां], बरेली । सेना में नौकरी की राह तकने वाले नौजवानों का सामना अब बदले हुए नियमों से होगा। वर्षो बाद सेना भर्ती नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए इसे आसान और पारदर्शी बनाने की दिशा में कदम उठाया गया है। कोशिश है कि फाइनल मेरिट लिस्ट में नंबरों की असमानता दूर हो और हर कैटेगरी में अभ्यर्थियों की क्षमता का सही आकलन किया जा सके। इसीलिए एक किमी दौड़ पूरा करने का निर्धारित समय भी घटाया गया है। साथ ही फर्जीवाड़ा रोकने के लिए मेडिकल से पहले बॉयोमीटिक टेस्ट अनिवार्य किया गया है।

अभी तक सेना भर्ती में सिपाही जनरल ड्यूटी (जीडी) की चार ग्रुप में दौड़ कराई जाती थी, जिसे दो ग्रुप में कराया जाएगा। अभ्यर्थियों को निर्धारित 1.06 किलोमीटर दौड़ अधिकतम 06.20 मिनट में पूरी करनी होती थी। अब यह समय घटाकर सिर्फ छह मिनट कर दिया गया है। साथ ही भर्ती में बढ़ते फर्जीवाड़े को रोकने के लिए मेडिकल से पहले बायोमीटिक टेस्ट कराया जाएगा। इसके लिए सभी सेना अस्पतालों में बायोमीटिक मशीनें लगाई जा रही हैं। पूर्व में भर्ती के दौरान ही मेडिकल टेस्ट किया जाता था, जहां असफल अभ्यर्थी दुबारा चैलेंज कर फर्जी तरीके से पास होकर नौकरी का दावा करते थे। सेना मुख्यालय के डायरेक्टर जनरल ने सोमवार को पत्र भेजकर नई भर्तियों में ये नियम लागू करने के निर्देश दिए हैं।

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जरूरी होगा बॉयोमीटिक टेस्ट

शारीरिक दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी के दोनों हाथ की अंगुलियों के निशान लिए जाते हैं। इसके बाद लिखित परीक्षा और मेडिकल में पास होने पर संदिग्धता के आधार पर ही टेस्ट होता है। अब मेडिकल से पहले यह टेस्ट जरूरी होगा।

मेरिट में मिलेगा फायदा

अभी तक दौड़ चार ग्रुप में होती थी। इसमें प्रथम आने वाले को 60, द्वितीय को 48, तृतीय को 36 और चतुर्थ ग्रुप वाले अभ्यर्थी को 24 अंक मिलते थे। अक्सर तेज दौड़ने वाले 60 अंक लेकर मेरिट में सबसे आगे निकल जाते थे। लिखित परीक्षा में कम नंबर आने पर भी उन्हें फायदा मिलता था। वहीं, लिखित परीक्षा में अच्छे अंक लाने और दौड़ में पीछे रहने वाले अभ्यर्थी जवान बनने में छूट जाते थे। इसीलिए अब दो ग्रुप में दौड़ होने से प्रथम को 60 और द्वितीय को 48 अंक मिलेंगे। इससे मेरिट में आने वाला भारी अंतर कम हो जाएगा।

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