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चेयरमैन पर फैसले से अन्य पदों पर नियुक्तियों की बढ़ी उम्मीद

तीन महीने से रेलवे बोर्ड चेयरमैन (सीआरबी) का अस्थायी कार्यभार संभाल रहे अरुणेंद्र कुमार को अंतत: सरकार ने इस पद पर स्थायी रूप से नियुक्ति कर दिया है। इसके साथ ही रेलवे में खाली कई अहम पदों पर नियुक्तियों की उम्मीद बढ़ गई है।

By Edited By: Wed, 16 Oct 2013 07:07 PM (IST)
चेयरमैन पर फैसले से अन्य पदों पर नियुक्तियों की बढ़ी उम्मीद

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। तीन महीने से रेलवे बोर्ड चेयरमैन (सीआरबी) का अस्थायी कार्यभार संभाल रहे अरुणेंद्र कुमार को अंतत: सरकार ने इस पद पर स्थायी रूप से नियुक्ति कर दिया है। इसके साथ ही रेलवे में खाली कई अहम पदों पर नियुक्तियों की उम्मीद बढ़ गई है।

अरुणेंद्र कुमार अभी तक मूलत: मेंबर, मेकेनिकल थे। 30 जून को विनय मित्तल के रिटायर होने के बाद चेयरमैन पद पर स्थायी नियुक्ति होने तक उन्हें इस पद का कार्य भी देखने को कहा गया था। बहरहाल दो महीने बाद भी जब स्थायी चेयरमैन पर फैसला नहीं हो सका तो पहली अक्टूबर को उन्हें एक महीने का एक्सटेंशन और दिया गया था। अंतत: कुछ रोज पहले कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने उनके नाम को हरी झंडी दी थी। रेलमंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने संबंधित फाइल पर बुधवार को हस्ताक्षर किए। अब अरुणेंद्र कुमार के पास तब तक मेंबर मैकेनिकल का अतिरिक्त कार्यभार रहेगा, जब तक कि इस पद पर किसी महाप्रबंधक की स्थायी नियुक्ति नहीं हो जाती। बहरहाल, अरुणेंद्र कुमार की नियुक्ति काफी विवादास्पद रही। इस पद के लिए कई अधिकारी दौड़ में थे। इनमें मेंबर इलेक्ट्रिकल कुलभूषण के अलावा पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के महाप्रबंधक आरएस बिरदी तथा उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक वीके गुप्ता के नाम प्रमुख हैं। इनमें कुछ नामों को मुख्य सतर्कता आयोग से हरी झंडी नहीं मिली, जबकि बाकी वरिष्ठता सूची में पिछड़ गए। चेयरमैन बनने के लिए एक साल तक ओपेनलाइन जीएम (ट्रेन संचालन से संबंधित किसी जोन का मुखिया) रहने के अलावा दो साल की सेवा अवधि शेष होना जरूरी है।

मई में रेलवे घूसकांड सामने आने के बाद से रेलवे में कई आला पदों पर नियुक्तियां लटक गई थी। मेंबर स्टाफ महेश कुमार की गिरफ्तारी और रेलमंत्री के पद से पवन बंसल के इस्तीफे ने सरकार को फूंक-फूंक कर कदम उठाने को विवश कर दिया। प्रधानमंत्री या रेलमंत्री की पसंद के बजाय नियुक्तियों में सीवीसी की राय को अहमियत दी जाने लगी है। यही वजह है कि पहली बार चेयरमैन पद पर इतने दिनों तक स्थायी नियुक्ति नहीं हुई। चेयरमैन पर फैसले के बावजूद रेलवे में अभी भी कई अहम पद खाली हैं। मसलन मेंबर स्टाफ की स्थायी नियुक्ति होनी है। इसका काम मेंबर, इंजीनियरिंग सुबोध कुमार जैन देख रहे हैं। फाइनेंशियल कमिश्नर का कार्यभार भी अस्थायी रूप से एडीशनल मेंबर राजेंद्र कश्यप देख रहे हैं और अब तो मेंबर मैकेनिकल का पद भी खाली हो गया है। इसके अलावा छह महाप्रबंधकों की नियुक्तियां भी होनी हैं। इनका काम फिलहाल दूसरे जोनों के महाप्रबंधक संभाल रहे हैं। चेयरमैन पर निर्णय होने के बाद इन शेष पदों पर भी स्थायी नियुक्तियां जल्द होने की उम्मीद बढ़ गई है।

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