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क्यों नहीं रोका केजरीवाल का धरना

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते धारा 144 का उल्लंघन कर धरने पर बैठना महंगा पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार के साथ ही दिल्ली सरकार को नोटिस जारी जवाब तलब किया है। साथ ही दिल्ली पुलिस से भी पूछा है कि उसने इस गैर-कानूनी काम को क्यों होने दिया।

By Edited By: Updated: Sat, 25 Jan 2014 02:16 AM (IST)
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नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते धारा 144 का उल्लंघन कर धरने पर बैठना महंगा पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार के साथ ही दिल्ली सरकार को नोटिस जारी जवाब तलब किया है। साथ ही दिल्ली पुलिस से भी पूछा है कि उसने इस गैर-कानूनी काम को क्यों होने दिया।

हालांकि शीर्ष अदालत ने व्यक्तिगत तौर पर केजरीवाल को नोटिस जारी करने से इन्कार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में धरने को लेकर दो याचिकाएं दायर की गई हैं। एक याचिका में संवैधानिकता का सवाल उठाते हुए कहा गया है कि कानून बनाने वाला आखिर कानून कैसे तोड़ सकता है तो दूसरी याचिका में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर प्रश्न खड़े किए गए हैं।

वकील एमएल शर्मा की याचिका में दिल्ली के मुख्यमंत्री के धरने का विरोध करते हुए कहा गया है कि हमारा कानून और संविधान इस पर मौन पर है कि संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति अगर कानून तोड़ता है तो क्या होना चाहिए। कानून बनाने वाला आखिर कानून कैसे तोड़ सकता है। यह गलत और असंवैधानिक है। इस पर कोर्ट ने कहा यह कानूनी मुद्दा है, हम विचार करेंगे। साथ ही कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर छह हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा है। वहीं, वकील एन राजारमन की याचिका में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं।

इसकी सुनवाई करते हुए अदालत ने दिल्ली पुलिस से पूछा है कि उसने राजधानी में धारा 144 लागू होने के बावजूद इस तरह के प्रदर्शन को कैसे होने दिया। जस्टिस आरएम लोढ़ा और शिव कीर्ति सिंह की पीठ ने दिल्ली पुलिस के वकील से पूछा कि जब निषेधाज्ञा लागू थी तो आखिर इतने लोगों को वहां जमा कैसे होने दिया गया।

दिल्ली पुलिस की ओर से एडिशनल सॉलीसिटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है। इसमें कुछ लोगों को नामित किया गया है और कार्रवाई भी शुरू हो गई है। लेकिन अदालत ने उनसे पूछा कि आखिर जब यह घटना हो रही थी, उस दौरान कानून का पालन करवाने वाली एजेंसी ने क्या किया। अगर कुछ लोग धारा 144 को तोड़ रहे थे, तो आपने क्या कार्रवाई की। पुलिस की ओर से लूथरा ने बताया कि ऐसे मामलों में पुलिस लोगों को निषेधाज्ञा के बारे में सूचित करती है और नहीं मानने पर उन्हें वहां से तितर-बितर करने की कार्रवाई करती है। उन्होंने कहा कि अमूमन पुलिस को ऐसा करने में 45 मिनट का समय लगता है। इस पर कोर्ट ने अमेरिका में आतंकी हमले का उदाहरण देते हुए कहा कि व‌र्ल्ड ट्रेड सेंटर तो तीन मिनट में ढह गया था।

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अदालत के विभिन्न सवालों का विस्तृत जवाब देने के लिए दिल्ली पुलिस के वकील ने समय मांगा, जिसके लिए अदालत ने मंजूरी दे दी। अब दिल्ली पुलिस को दो प्रश्नों का जवाब देने को कहा गया है। यह बताएगी कि धारा 144 लागू होने के बावजूद इसने पांच से ज्यादा लोगों को इकट्ठा क्यों होने दिया। साथ ही पुलिस यह भी बताएगी कि इस मामले में पुलिस ने क्या कार्रवाई की?

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