मिलिए भाजपा के नए 'पीके' से जिन्होंने असम जीत में निभाई यह भूमिका
असम चुनावों में भाजपा की जीत में पार्टी संगठन के अलावा रजत सेठी और शुभ्रस्था का भी बड़ा योगदान है
नई दिल्ली। "असम भाजपा के लिए एक मुश्किल प्रदेश है, यहां जीत की कोई गारंटी नहीं है, लेकिन क्या आप फिर भी वहां जाना चाहेंगे?" यह प्रश्न रजत सेठी से जुलाई 2015 में भाजपा महासचिव राम माधव ने तब किया था जब रजत को अमेरिका से लौटे हुए केवल 2 महीने हुए थे।
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असम में भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले 30 वर्षीय रजत सेठी अपनी नई भूमिका के लिए दिल्ली से गुवाहाटी शिफ्ट हो गए। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सेठी बताते हैं, "हम जीते क्योंकि हमारे पास एक अजेय गठबंधन था जिसमें कई समुदाय और जनजातियां शामिल थीं। सर्बानंद सोनोवाल की साफ छवि और हेमंत बिस्व सरमा के उत्साह से हमें मदद मिली।”
रजत सेठी जो कानपुर से ताल्लुक रखते हैं, ने अपनी आरम्भिक शिक्षा आरएसएस द्वारा संचालित होने वाले शिशु मंदिर से पूरी की है। आईआईटी खड़गपुर से बीटेक करने के बाद रजत ने अमेरिका में एमआर्इटी व हार्वर्ड केनेडी स्कूल से पढ़ाई की। अमेरिका में पढ़ाई करने के दौरान उनका ध्यान फोकस मैनेजमेंट पर था। उन्होंने एक आईटी कंपनी भी शुरू की थी जिसे बाद में बेच दिया।
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उनके साथ काम करने वाली 28 साल की शुभ्रस्था ने प्रशांत किशोर के साथ भी कार्य किया है। वह सिटीजंस फॉर अकाउंटेबल गर्वनेंस नामक संस्था की सह-संस्थापक हैं और 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने मोदी तथा बिहार चुनावों में नीतिश कुमार के लिए कार्य किया था। प्रशांत किशोर के साथ काम करने से पहले शुभ्रस्था ने दिल्ली के मिरांडा कॉलेज से पढ़ाई की थी। शुभ्रस्था कहती हैं, "यदि मुझे कोई 1000 करोड़ रुपये की भी पेशकश करे तो मैं तब भी कांग्रेस के साथ काम नहीं करूंगी।"
सेठी ने बताया कि उन्हें असम भाजपा के इंचार्ज और महासचिव राम माधव ने 32 जिलों और 25000 बूथों पर लोगों को एकजुट करने जिम्मेदारी सौंपी। इसके लिए गुवाहाटी में एक फ्लैट किराए पर लिया गया जहां भाजपा का 'वार रूम' बना। सेठी ने बताया, "हमने हर काम बहुत बारीकी से किया, सोचिए भाजपा के पास केवल पांच विधायक थे लेकिन अमित शाह और माधव कहते रहते थे कि हम अगली सरकार बना सकते हैं।” असम की वास्तविक जानकारी जुटाने के लिए सेठी और शुभ्रस्था ने कंप्यूटर और मोबाइल सॉफ्टवेयर की मदद ली और 400 युवाओं को तैयार किया।
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सेठी ने बताया, "कांग्रेस ने गोधरा ट्रेन और पीडि़त कुतुबुद्दीन अंसारी की फोटो लगाकर गलती की और कहा कि यह है मोदी का गुजरात मॉडल। यही उन पर भारी पड़ा।" उन्होंने कहा कि विश्लेषण में यह बात निकलकर आई कि भाजपा और एजीपी के बीच कैमिस्ट्री की कमी है लेकिन गणित ने अमित शाह को गठबंधन के लिए राजी किया। भाजपा ने जीत के लिए कई और तरकीबें भी आजमाई और भूपेन हजारिका की कविताओं के जरिए लोगों को जोड़ा। माधव टास्क मास्टर हैं जबकि शाह मैन ऑफ डिटेल्स।”