फेसबुक पर 'फेस' से बचें
'हाय.' 'हेलो.कौन.? नाम बताएं' 'पहचान लो।' 'प्लीज, नाम बता दें' 'अरे नाम में क्या रखा है, मैं आपका दोस्त. धीरे-धीरे पहचान जाओगे।' 'ओके, तो आप करते क्या हो?.' फेसबुक पर कुछ ऐसी ही बातों के साथ पश्चिम बंगाल निवासी सुदीप दास की इंदिरानगर निवासी छात्र से जान-पहचान बढ़ी थी। इसके बाद दोनों आपस में लंब
By Edited By: Updated: Thu, 10 Apr 2014 12:42 PM (IST)
लखनऊ [ज्ञान बिहारी मिश्र]। 'हाय.' 'हेलो.कौन.? नाम बताएं'
'पहचान लो।' 'प्लीज, नाम बता दें' 'अरे नाम में क्या रखा है, मैं आपका दोस्त. धीरे-धीरे पहचान जाओगे।' 'ओके, तो आप करते क्या हो?.'
फेसबुक पर कुछ ऐसी ही बातों के साथ पश्चिम बंगाल निवासी सुदीप दास की इंदिरानगर निवासी छात्र से जान-पहचान बढ़ी थी। इसके बाद दोनों आपस में लंबी चैटिंग करने लगे। सामाजिक विषयों से लेकर निजी बातें होना शुरू हुईं और फिर दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे। दरअसल, सोशल नेटवर्किंग साइट पर युवाओं की आपस में हो रही जान पहचान अब किशोर पीढ़ी के साथ-साथ बच्चों तक को प्रभावित करने लगी है। किशोर व बच्चे भी अंजान लोगों से दोस्ती करने और निजी जानकारियां बांटने से गुरेज नहीं करते। इंदिरानगर निवासी छात्र व पश्चिम बंगाल निवासी सुदीप दास के बीच फेसबुक के जरिए हुई दोस्ती कोई पहला उदाहरण नहीं है। ऐसे मामलों की लंबी फेहरिस्त है, जहां सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए संपर्क में आए कई लोग धोखाधड़ी का शिकार भी हो चुके हैं। साइबर क्राइम वर्तमान में अपनी जड़े तेजी से फैला रहा है, यही कारण है कि बच्चे, किशोर और खासकर युवा पीढ़ी खुद को इनके चंगुल से बचा नहीं पा रहे हैं। फेसबुक के जरिए सुदीप दास इंदिरानगर निवासी हाई स्कूल की छात्र के संपर्क में तो आया, लेकिन दोनों की इस दोस्ती ने सुदीप की जान ले ली। फेसबुक पर फेस देखकर एक-दूसरे को पसंद करने का क्रेज जहां युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है, वहीं अभिभावक इनके खतरों से बेफिक्र हैं। इंदिरानगर क्षेत्र निवासी एक युवती की फेसबुक के जरिए एक युवक से दोस्ती हुई थी। धीरे-धीरे दोनों लंबे समय तक बातचीत करने लगे। जनवरी 2014 में युवक ने युवती से पार्सल के द्वारा एक हार भेजने की बात कही थी। वहीं कुछ दिनों बाद युवक ने कस्टम के अधिकारियों द्वारा हार पकड़ लिए जाने की बात युवती से बताई और इसके लिए कुछ रुपये जमा करने को कहा। इस तरह युवक ने अपने फेसबुक महिला मित्र से कुल दो लाख 80 हजार रुपये जमा करवा लिए और फिर लापता हो गया।
गोमतीनगर में दिसंबर 2013 में एक युवक पहले फेसबुक के जरिए एक युवती का दोस्त बना। फिर उसे लॉटरी निकलने का झांसा दिया और युवती से उसके एटीएम कार्ड का नंबर ले लिया। बाद में युवक ने युवती के खाते से 45 हजार रुपये की खरीदारी कर ली। इस तरह के मामलों की शिकायत लेकर लोग आए दिन साइबर क्राइम सेल के दफ्तर में आते हैं और सोशल नेटवर्किंग साइट व नेट द्वारा ठगी का शिकार होते हैं। वहीं फेसबुक के इस्तेमाल का चलन आजकल बच्चों में तेजी से बढ़ रहा है, जिसकी ओर परिजनों का ध्यान नहीं देना उनके लाडलों के लिए घातक साबित हो सकता है। क्या न करें नेट के जरिए अपने बारे में किसी को न बताएं। अंजान व्यक्ति द्वारा लगातार भेजे रहे ईमेल के बारे में संबधित अधिकारी से शिकायत करें। इंटरनेट के जरिए दोस्ती, व्यक्तिगत संबध एवं बातचीत पर कभी भरोसा न करें। व्यक्तिगत ब्यौरा मांगने वाले व्यक्ति से सावधान रहें। बच्चे कभी भी नेट के जरिए अपने अभिभावक से पूछे बिना कोई खरीदारी न करें। पढ़ें : आसमान से इंटरनेट मुहैया कराना चाहता है फेसबुक पढ़ें: ट्विटर से इस्तेमाल से हो सकता ब्रेकअप व तलाक