यूं ही नहीं अल्पसंख्यक दर्जा चाहते थे आजम
मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान का दर्जा दिलाने के मुद्दे को नगर विकास मंत्री मोहम्मद आजम खां यूं ही नहीं नाक का सवाल बनाए हुए थे। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को कई सहूलियतें हासिल हैं। अव्वल तो अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को 50 फीसद सीटों पर अल्पसंख्यक छात्रों को दाखिला देने की छूट होती है। ि
By Edited By: Updated: Thu, 17 Jul 2014 11:47 AM (IST)
लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान का दर्जा दिलाने के मुद्दे को नगर विकास मंत्री मोहम्मद आजम खां यूं ही नहीं नाक का सवाल बनाए हुए थे। अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को कई सहूलियतें हासिल हैं।
अव्वल तो अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को 50 फीसद सीटों पर अल्पसंख्यक छात्रों को दाखिला देने की छूट होती है। शिक्षकों के चयन में भी ऐसे संस्थानों के प्रबंधतंत्र को स्वतंत्रता होती है। राज्य विश्वविद्यालयों की कार्य परिषदों में राज्य सरकार अपने प्रतिनिधि नामित करती है लेकिन अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त विश्वविद्यालय में ऐसी कोई बंदिश नहीं होती है। शिक्षकों के निलंबन और बर्खास्तगी के मामलों में भी अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को खासी आजादी है। ऐसे संस्थानों में शिक्षकों को निलंबित या बर्खास्त करने के लिए कुलाधिपति के पूर्व अनुमोदन की जरूरत नहीं है। अल्पसंख्यक संस्थानों पर उप्र राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की धारा 57 व 58 लागू नहीं होती हैं। यह धाराएं लागू न होने के कारण यदि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान का प्रबंधतंत्र सरकार के निर्देशों की अवहेलना करे तो भी सरकार उसे भंग नहीं कर सकती है। जौहर विश्वविद्यालय अधिनियम में स्पष्ट किया गया है कि यह शिक्षण संस्थान मुस्लिम समुदाय के शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक विकास के मकसद से कायम किया जा रहा है। यह विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक [मुस्लिम] समुदाय द्वारा स्थापित एवं संचालित है। विश्वविद्यालय की स्थापना का मकसद मुस्लिमों द्वारा पढ़ी जाने वाली उर्दू, अरबी और फारसी भाषाओं का विकास करना भी है। पढ़ें : आजम के खिलाफ अब इंजीनियरों ने खोला मोर्चा