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बटला हाउस मुठभेड़ में शहजाद को उम्रकैद

वर्ष दो हजार आठ में हुए बटला हाउस मुठभेड़ मामले में दोषी ठहराए गए इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) के सदस्य शहजाद अहमद के लिए साकेत कोर्ट ने उम्रकैद की सजा मुकर्रर की है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेंद्र कुमार शास्त्री ने शहजाद पर पनचानबे हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस रकम में से 40 हजार रुपये शहीद इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा के परिजनों को और 20 हजार रुपये मुठभेड़ में घायल हुए हेड कांस्टेबल बलवंत को बतौर मुआवजा दिया जाएगा।

By Edited By: Updated: Wed, 31 Jul 2013 06:11 AM (IST)
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जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। वर्ष दो हजार आठ में हुए बटला हाउस मुठभेड़ मामले में दोषी ठहराए गए इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य शहजाद अहमद के लिए साकेत कोर्ट ने उम्रकैद की सजा मुकर्रर की है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेंद्र कुमार शास्त्री ने शहजाद पर पनचानबे हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। इस रकम में से 40 हजार रुपये शहीद इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा के परिजनों को और 20 हजार रुपये मुठभेड़ में घायल हुए हेड कांस्टेबल बलवंत को बतौर मुआवजा दिया जाएगा। राजनीतिक रूप से अति चर्चित इस मामले में सोमवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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अभियोजन पक्ष ने शहजाद को अधिकतम सजा फांसी दिए जाने की मांग की थी जबकि बचाव पक्ष ने कम से कम सजा दिए जाने की अपील की थी। बचाव पक्ष के अधिवक्ता एस कमर ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की बात कही। शहजाद के खिलाफ 13 सितंबर, 2008 को हुए दिल्ली में हुए सीरियल ब्लास्ट के दो मामले लंबित हैं। इन धमाकों में 26 लोग मारे गए थे, जबकि 133 घायल हो गए थे। मामले की जांच करते हुए पुलिस को पता चला कि विस्फोटों को अंजाम देने वाले आतंकी बटला हाउस इलाके मेंएल-18 के एक फ्लैट में छिपे हुए हैं। 19 सितंबर, 2008 को पुलिस ने उस फ्लैट को चारो ओर से घेर लिया। फ्लैट में मौजूद युवकों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की गोली लगने से मौत हो गई थी और दो अन्य पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल हो गए थे।

पुलिस ने जवाबी फायरिंग करते हुए इंडियन मुजाहिदीन के दो सदस्यों को मार गिराया था। मुठभेड़ के दौरान शहजाद अपने साथी जुनैद के साथ फरार होने में सफल रहा। एक अन्य मुहम्मद सैफ ने पुलिस के समक्ष समर्पण कर दिया। बाद में पुलिस ने उत्तार प्रदेश के आजमगढ़ से शहजाद को गिरफ्तार कर लिया। जुनैद को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। फैसला सुनाए जाने के दौरान किसी अप्रिय घटना के मद्देनजर कोर्ट परिसर पुलिस छावनी में तब्दील रहा।

सजा से असंतुष्ट परिजन

शहजाद को फांसी की सजा न मिलने से शहीद इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा की पत्‍‌नी माया शर्मा संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली पुलिस को हाई कोर्ट में अपील करनी चाहिए। हालांकि इससे पहले उन्होंने कहा था कि चूंकि वह एक मां और पत्‍‌नी हैं, इसलिए वह किसी को मौत की सजा देने के बारे में नहीं सोचतीं। वहीं, शर्मा के माता-पिता ने भी नाराजगी जताई। पिता नरोत्ताम शर्मा ने कहा- 'शहजाद आतंकवादी था। आतंकवादी को मौत की सजा मिलनी चाहिए। मेरे बेटे का मारा जाना महज हत्या का मामला नहीं है। वह तो शहीद हुआ है, लेकिन दोषी को सजा सिर्फ हत्या के लिए दी गई है। हत्या और शहादत में काफी फर्क है। मुझे मुआवजा नहीं चाहिए, बल्कि दोषी को मौत की सजा दी जानी चाहिए।'

''इस देश में अच्छे इंसान व अच्छे काम करने वालों की कद्र नहीं है। पति की शहादत के बाद कई राजनीतिक दलों के लोग मेरे पास आए। कई जगह से पैसे की पेशकश भी की गई। मैंने सभी चीजों को ठुकराया, क्योंकि मैंने सिर्फ न्याय चाहा। आज अदालत के फैसले से बहुत निराश हूं।''

-माया शर्मा, शहीद इंस्पेक्टर एमसी शर्मा की पत्नी

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