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Chandra Grahan 2020 India: इस महीने लगने जा रहा साल का दूसरा चंद्रग्रहण, जानें समय और तारीख

Chandra Grahan 5 June 2020 5 जून को उपछाया चंद्रग्रहण लगने वाला है। ये अन्‍य चंद्रग्रहण के मुकाबले काफी अलग होता है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 04 Jun 2020 02:56 PM (IST)
Chandra Grahan 2020 India: इस महीने लगने जा रहा साल का दूसरा चंद्रग्रहण, जानें समय और तारीख
नई दिल्ली (जेएनएन)। जून के माह में सूर्य और चंद्रग्रहण दोनों ही लगने वाले हैं। चंद्रग्रहण जहां जून के पहले सप्‍ताह के पांचवें दिन अर्थात 5 जून को लगेगा तो वहीं 21 जून को सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) लगेगा। इन दोनों की ही अपनी पौराणिक कथाएं, मान्‍यताएं और महत्‍व हैं। इसके अलावा इन दोनों का ही वैज्ञानिक महत्‍व भी है। यहां पर हम आपको इन दोनों ही महत्‍व और इस खगोलीय घटना के पीछे छिपे कारणों की जानकारी दे रहे हैं।

चंद्रग्रहण (Lunar Eclipse)

चंद्रग्रहण उस समय लगता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक ही सीध में होते हैं। यह उस वक्त लगता है जब पूरा चांद निकला हुआ होता है और पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है। ऐसे में सूर्य की किरणें चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती हैं। आपको बता दें कि इस वर्ष चार चंद्रग्रहण लगने हैं। इनमें से पहला चंद्रग्रहण एक जनवरी को लग चुका है। दूसरा इस माह है। तीसरा जुलाई और चौथा नवंबर में होगा। 5 जून को होने वाला चंद्रग्रहण उपछाया होगा। इसका अर्थ है कि चांद, पृथ्वी की हल्की छाया से होकर गुजरेगा।

यह चंद्रग्रहण 3 घंटे और 18 मिनट का होगा। 5 जून को इसकी शुरुआत रात 11.15 होगी और 6 जून को सुबह 12.54 बजे तक ये अपने अधिकतम चरण में होगा। 6 जून की सुबह 2.34 पर ये खत्म हो जाएगा। एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के लोग इस ग्रहण को देख सकते हैं। 

हिंदू धर्म में चंद्रग्रहण के पीछे राहु व केतु का प्रभाव होता है। समुद्र मंथन के दौरान देवताओं व दानवों के बीच अमृत पाने को लेकर युद्ध चल रहा था। अमृत का देवताओं को सेवन करवाने के लिए भगवान विष्णु सुंदर कन्या का रूप धारण कर सभी में अमृत बांटने लगे। इस बीच एक असुर देवताओं के बीच जाकर बैठ गया। उसने जैसे ही अमृत हासिल किया तो भगवान सूर्य व चंद्रमा को इस बात का पता चल गया। जब उन्होंने इसकी जानकारी भगवान विष्णु को दी तो उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से उसकी गर्दन धड़ से अलग कर दी। अमृत पीने के कारण वह मरा नहीं तथा उसका सिर व धड़ अलग होकर राहु तथा केतु नाम से विख्यात हो गए। इस घटना के कारण राहु व केतु सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण के रूप में लगते हैं।

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