भागवत ने कहा- हम आरक्षण विरोधी नहीं, लेकिन इसकी समीक्षा जरूरी
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत आरक्षण को लेकर दिए गए अपने बयान पर कायम हैं।
जागरण संवाददाता, गोरखपुर । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत आरक्षण को लेकर दिए गए अपने बयान पर कायम हैं। मंगलवार को एक बार फिर उन्होंने स्पष्ट किया कि 70 साल से चली आ रही आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा होनी चाहिए। यह देखा जाना चाहिए कि संविधान में जिनके लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई, क्या उन्हें इसका लाभ मिला। उन्होंने कहा कि मेरे विचार से जिनके लिए आरक्षण था, उन्हें इसका लाभ नहीं मिला। उनको लाभ मिलना चाहिए। गोरखपुर में पांच दिन के प्रवास के अंतिम दिन भागवत ने गोकुल अतिथि भवन में विशिष्ट लोगों के समूह को संबोधित किया। इस दौरान उन से कई सवाल किए गए।
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व्यापारी नितिन जायसवाल ने उनसे सवाल किया कि संघ के कार्यक्रमों से मीडिया को दूर क्यों रखा जाता है? भागवत ने जवाब दिया, हम काम में अधिक, प्रचार में कम यकीन करते हैं। सूत्रों के अनुसार, संवाद के दौरान राकेश सिंह पहलवान ने उनसे सवाल किया कि आरक्षण को लेकर पूर्व में दिए गए उनके बयान से यह भ्रम पैदा हो गया है कि संघ आरक्षण विरोधी है। इस पर क्या कहेंगे? भागवत ने स्पष्ट किया कि वह आरक्षण के विरोधी नहीं हैं। जिनके लिए आरक्षण की व्यवस्था बनाई गई, उनका जीवन स्तर अब भी नहीं सुधर सका है। इसलिए मैंने कहा कि देश में आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा की जाए, उस पर बहस हो। जिन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिला, उन्हें मिले यह सुनिश्चित होना चाहिए।
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संवाद के दौरान भागवत ने कहा कि भारत कभी विश्व गुरु था। हर क्षेत्र में श्रेष्ठतम होने के कारण ही उसे ये दर्जा मिला था। बावजूद इसके गुलामी खुद में सवाल है। उन्होंने कहा कि इसका कारण है, समाज का संगठित न रहना। सशक्त और समर्थ होकर भारत फिर उसी दर्जे को हासिल करे, इसके लिए समाज का संगठित होना समय की मांग है। उन्होंने कहा कि संघ के एक लाख 60 हजार सेवा प्रकल्पों से जुड़े स्वयंसेवक बिना किसी भेदभाव के नि:स्वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं।
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दैवीय आपदा हो या कोई बड़ा हादसा हर जगह स्वंयसेवक पूरे मनोयोग से काम करते दिख जाएंगे। उन्होंने कहा कि अलग पूजा पद्धतियों के बावजूद हम सब हिंदू हैं। हमारी मातृभूमि एवं पूर्वज एक हैं। इस संपूर्ण समाज को संगठित करना ही संघ का काम है। हमारा मिशन समतायुक्त और शोषणमुक्त समाज की स्थापना है। उन्होंने कहा कि संघ से संपर्क न होने अपने परिवार को दें प्राथमिकता : मोहन भागवतके नाते इसके बारे में भ्रम रहता है। संघ परिवार में सबका स्वागत है।