आस्था का प्रवाह निर्मल करने का जिम्मा उमा पर
नरेंद्र मोदी की सरकार में विकास की नैया पार लगाने का जिम्मा तो कई कद्दावर नेताओं के कंधों पर दिया गया है, लकिन आस्था के प्रवाह को निर्मल करने की जिम्मेवारी एक ही मंत्री पर होगी। 'साध्वी-नेता' उमा भारती का मंत्रालय मोदी सरकार की जरूरत और खुद उमा की फितरत, दोनों ही वजहों से जल संसाधन और गंगा शुद्धीकरण मं˜
By Edited By: Updated: Tue, 27 May 2014 08:48 PM (IST)
नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। नरेंद्र मोदी की सरकार में विकास की नैया पार लगाने का जिम्मा तो कई कद्दावर नेताओं के कंधों पर दिया गया है, लकिन आस्था के प्रवाह को निर्मल करने की जिम्मेवारी एक ही मंत्री पर होगी। 'साध्वी-नेता' उमा भारती का मंत्रालय मोदी सरकार की जरूरत और खुद उमा की फितरत, दोनों ही वजहों से जल संसाधन और गंगा शुद्धीकरण मंत्रालय खूब चर्चा में रहने वाला है।
मोदी कैबिनेट में उमा भारती भगवा धारण करने वाली अकेली सदस्य ही नहीं होंगी, बल्कि भावनाओं का खयाल रखने की जिम्मेवारी भी उन्हीं पर होगी। मोदी ने चुनाव के दौरान गंगा का आह्वान तो किया ही था, प्रधानमंत्री बनते ही अलग से नदी विकास और गंगा शुद्धीकरण मंत्रालय बना कर अपनी प्राथमिकता भी साफ कर दी। जल संसाधन मंत्रालय के साथ जोड़ कर इस नए मंत्रालय का जिम्मा भी उन्होंने उमा भारती को दिया है। इस तरह अब गंगा सहित सभी नदियों को निर्मल करने के मोदी के उस एजेंडे को पूरा करने की जिम्मेवारी सीधे उमा भारती पर होगी, जिस पर करोड़ों लोग लगातार टकटकी लगाए रहेंगे। उमा भारती का यह मंत्रालय संभालना इसलिए भी दिलचस्प है, क्योंकि यह आंदोलनकारी को सत्ता सौंपने का एक और मामला है। मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी उमा भारती ऐन चुनाव के पहले तक सड़कों पर गंगा आंदोलन ही चला रही थीं। गंगा आंदोलनकारी के तौर पर वे पांच राज्यों की पदयात्रा करने से ले कर धरना तक दे रही थीं।
इस दौरान उन्होंने गंगा सहित सभी नदियों को प्रदूषण से मुक्त करने और इसके प्रवाह को तुरंत निर्मल-अविरल करने के अपने कई फार्मूले भी पेश किए हैं। अब ऐसे में यह मंत्रालय मिलते ही इस तेज-तर्रार नेता पर तुरंत कुछ कर दिखाने का भारी दबाव भी होगा। पढ़ें: मोदी सरकार का पहला फैसला, कालेधन पर कार्रवाई को एसआइटी का गठन