केंद्र में काबिज होने के बाद अब सूबों की तरफ भी नरेंद्र मोदी का विजय रथ मजबूती से आगे बढ़ रहा है। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों ने केंद्र सरकार के कामकाज और शाह के फैसलों पर मुहर लगा दी है। भाजपा अब सत्ता के साथ सियासत के सारे समीकरण भी बदलती दिख रही है।
By vivek pandeyEdited By: Updated: Mon, 20 Oct 2014 09:07 AM (IST)
नई दिल्ली (राजकिशोर)। केंद्र में काबिज होने के बाद अब सूबों की तरफ भी नरेंद्र मोदी का विजय रथ मजबूती से आगे बढ़ रहा है। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों ने केंद्र सरकार के कामकाज और शाह के फैसलों पर मुहर लगा दी है। भाजपा अब सत्ता के साथ सियासत के सारे समीकरण भी बदलती दिख रही है। मोदी लहर पर सवार पार्टी ने जाटलैंड और मराठा मानुष की धरती पर अकेले दम परचम फहरा दिया है। सहयोगियों का 'जूनियर पार्टनर' बनकर रहने के बजाय पार्टी 'बिग ब्रदर' की भूमिका में बढ़ रही है। हालांकि, हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में स्पष्ट बहुमत न मिलने से पार्टी के प्रबंधकों की चुनौती तो बढ़ी है। इसके बावजूद दोनों राज्यों में पहली बार भाजपा का मुख्यमंत्री बनना तय है। वहीं, कांग्रेस की दुर्दशा लगातार जारी है और दशक से ज्यादा राज करने के बाद दोनों राज्यों में वह मुख्य विपक्षी दल बनने लायक भी नहीं रह गई है।
हरियाणा में चौधर, महाराष्ट्र में परचम :
हरियाणा में 47 सीटें जीतकर भाजपा ने अपनी चौधर अकेले दम स्थापित कर ली। यहां पर पार्टी ने चार सीटों से बहुमत का सफर तय किया है। वहीं, महाराष्ट्र में धमाकेदार प्रदर्शन के बावजूद बहुमत के लिए जरूरी 145 के जादुई आंकड़े से 23 सीटें पीछे रह गई। हालांकि पिछले चुनाव में 46 सीटों की तुलना में 122 सीटें लाकर पार्टी ने नया रिकार्ड बनाया है। सरकार बनाने के लिए अब उसे शिवसेना या राकांपा पर निर्भर रहना होगा। शिवसेना ने भाजपा की ओर से प्रस्ताव आने पर विचार करने की बात कही है। इस बीच राकांपा नेता प्रफुल पटेल ने भाजपा की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया है। जाहिर है कि शिवसेना के लिए कड़ा मोलभाव करने के विकल्प सीमित हो गए हैं। गई कांग्रेस की सत्ता और साख :
राष्ट्र के बाद हरियाणा और महाराष्ट्र से भी जनता ने कांग्रेस को खारिज कर दिया है। अपने परंपरागत गढ़ों में पार्टी की ऐसी दुर्गति हुई कि तीसरे नंबर पर खिसक गई है। भाजपा की सफलता चमत्कारिक है तो कांग्रेस के लिए स्तब्धकारी। हरियाणा में कांग्रेस 10 वर्षो से सत्ता में थी। वहीं महाराष्ट्र में कांग्रेस व राकांपा का गठबंधन 15 वर्षो से काबिज था। कांग्रेस के दो सबसे मजबूत गढ़ ध्वस्त हुए और भाजपा बड़े अंतर से नंबर एक बनी है। शाह बने बादशाह :
भाजपा में मोदी को लेकर तो कोई संदेह था ही नहीं, अब इन नतीजों के बाद अमित शाह ने भी अपनी हनक स्थापित कर ली है। इन नतीजों का दूरगामी राजनीति और अगले कुछ माह में होने वाले झारखंड और जम्मू-कश्मीर के चुनावों पर भी असर पड़ना तय है। मुश्किल में राहुल : कांग्रेस में टीम राहुल के खिलाफ उठते विरोध के स्वर अब और मुखर होकर बगावत की शक्ल में सामने आ सकते हैं। नतीजों से जिस तरह कांग्रेस का नेतृत्व मुंह चुरा रहा है और प्रियंका गांधी को लाने के नारे लगने लगे हैं, उससे भविष्य के संकेत साफ दिख रहे हैं। किसने क्या कहा : मैं सभी कार्यकर्ताओं के अथक प्रयास को सलाम करता हूं। हरियाणा के लोगों का शुक्रिया जिन्होंने हरियाणा के विकास को नए स्तर पर ले जाने का मौका दिया। हम महाराष्ट्र की तरक्की के लिए कृतसंकल्प हैं और ऐसा महाराष्ट्र बनाएंगे, जिस पर दुनिया को गर्व होगा। - नरेंद्र मोदी 'दोनों राज्यों में मुख्य विपक्षी दल लायक भी नहीं रही कांग्रेस। यह भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत की तरफ एक और कदम है।' -अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष 'महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस ने क्रमश: तीन व दो बार सरकार का गठन किया। हम आशा करते हैं कि नई सरकार अपने वादे पूरी करेगी।' -सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष 'जनता ने बदलाव के लिए वोट किया है। हमें फैसला स्वीकार है। जनता का भरोसा फिर से हासिल करने के लिए हम और ज्यादा मेहनत करेंगे।' -राहुल गांधी, कांग्रेस उपाध्यक्ष
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