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आरक्षण पर भागवत के बयान से भाजपा का किनारा

बिहार में गरमा रहे चुनावी माहौल के बीच आरक्षण पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान से भाजपा ने पल्ला झाड़ लिया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि भाजपा ने सरसंघचालक के बयान से असहमति जताते हुए बयान दिया और कहा कि भाजपा आरक्षण को लेकर किसी पुनर्विचार के

By Sachin BajpaiEdited By: Updated: Tue, 22 Sep 2015 04:02 AM (IST)
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नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बिहार में गरमा रहे चुनावी माहौल के बीच आरक्षण पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान से भाजपा ने पल्ला झाड़ लिया है। पहली बार ऐसा हुआ है कि भाजपा ने सरसंघचालक के बयान से असहमति जताते हुए बयान दिया और कहा कि भाजपा आरक्षण को लेकर किसी पुनर्विचार के पक्ष में नहीं है। आरक्षण लागू रहेगा। जबकि खुद संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने भी बयान जारी कर सफाई दी। उन्होंने कहा कि भागवत ने आरक्षण के खिलाफ कुछ नहीं कहा है, बल्कि यह कहा है कि सभी कमजोर वर्गों को इसका लाभ मिलना चाहिए।

बिहार चुनाव में राजग की ओर से जहां विकास का नारा दिया गया है वहीं जमीन पर जातिगत समीकरण भी साधे गए हैं। ऐसे में भागवत के बयान ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को इस पर भी राजनीतिक रोटियां सेंकने का मौका दे दिया। मोहन भागवत ने संघ के मुखपत्र पांचजन्य और आर्गेनाइजर को दिए गए एक साक्षात्कार में आरक्षण की समीक्षा के लिए गैर राजनीतिक समिति बनाने की बात कही थी। भागवत ने आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा का सुझाव दिया था, लेकिन लालू ने और नीतीश कुमार ने इसे राजनीतिक रंग देते हुए बयान पर ऐसे प्रतिक्रिया दी जैसे मौजूदा आरक्षण को खत्म करने की बात कही गई हो।

दलितों और पिछड़ों को एकजुट करने के लिए लालू ने तत्काल चुनौती दी, 'तुम आरक्षण खत्म करने की कहते हो, हम इसे आबादी के अनुपात में बढ़ाएंगे। माई का दूध पिया है तो आरक्षण खत्म करके दिखाओ? किसकी कितनी ताकत है पता लग जाएगा।'

बताते हैैं कि महागठबंधन के अंदर इसी मुद्दे पर चुनावी अभियान को तेज करने की रणनीति भी बनने लगी थी। दरअसल आरक्षण खत्म होने का डर दिखाकर दलितों, पिछड़ों की बहुमत आबादी को एकजुट कर महागठबंधन अपने साथ खड़ा करना चाहता है जो फिलहाल विभाजित है। गौरतलब है कि राजग ने भी इस विभाजन को और तीखा करने के लिए बड़ी संख्या में यादव, पिछड़ा, अतिपिछड़ा वर्ग से उम्मीदवार उतारे हैं।

हालांकि कांग्रेस के कुछ नेता भी भागवत के बयान से सहमत हैं। लेकिन ऐन चुनाव के वक्त पर भागवत के बयान का प्रतिकूल असर पडऩे की आशंका ने भाजपा को सतर्क कर दिया। गौरतलब है कि बिहार में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे दलों ने भी आरक्षण के मुद्दे को फिर से छेडऩे को खारिज कर दिया था। रालोसपा के कहना है, 'आरक्षण का मुद्दा संविधान में तय हो चुका है। उस पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है।'

बताते हैं कि दिन भर पार्टी के अंदर हुई चर्चा और संघ से भी मशविरा के बाद भाजपा ने भागवत के बयान से असहमति जताकर यह तय कर लिया कि बिहार चुनाव में इसका असर न दिखे। पार्टी ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को सामने किया। रविशंकर ने कहा, 'दलितों और पिछड़ों को आरक्षण के मुद्दे पर पुनर्विचार के पक्ष में भाजपा नहीं है। जनसंघ के समय से ही हम दलितों-पिछड़ों के पक्ष में रहे हैं। हम बता देना चाहते हैं कि आरक्षण लागू रहेगा।'

सूत्रों का कहना है कि भागवत के बयान का संदर्भ विस्तृत था और उस पर चर्चा हो सकती है। यही कारण है कि कांग्रेस के कुछ नेता भी समर्थन करते दिखे थे। लेकिन समय गलत चुना गया। चुनाव के वक्त भागवत के बयान का राजनीतिक खामियाजा भुगतना पड़ सकता था।

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'दलितों और पिछड़ों को आरक्षण के मुद्दे पर पुनर्विचार के पक्ष में भाजपा नहीं है। जनसंघ के समय से ही हम दलितों, आदिवासियों, पिछड़ोंं, अतिपिछड़ों के पक्ष में रहे हैं। इसके अलावा आर्थिक रूप से पिछड़ों का उत्थान कैसे हो इस पर सुझाव आए तो उसका भी स्वागत होना चाहिए।' -रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय मंत्री

'तुम आरक्षण खत्म करने की कहते हो, हम इसे आबादी के अनुपात में बढ़ाएंगे। माई का दूध पिया है तो आरक्षण खत्म करके दिखाओ? किसकी कितनी ताकत है पता लग जाएगा।' -लालू प्रसाद यादव, राजद सुप्रीमो

'मोहन भागवत का आरक्षण नीति की समीक्षा का आह्वïान ओबीसी, एससी और एसटी के खिलाफ भाजपा का असली रंग और सोच दर्शाता है।' -नीतीश कुमार, बिहार के मुख्यमंत्री

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