मंत्रिमंडल को लेकर शिवसेना का अल्टीमेटम मानने से भाजपा का इन्कार
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने को लेकर शिवसेना ने भाजपा को जो अगले तीन-चार दिनों तक की समयसीमा दी थी, उसको मानने से भारतीय जनता पार्टी ने साफ इंकार कर दिया है। भाजपा ने कहा है कि वह सदन में बहुमत साबित करने के बाद मंत्रिमंडल में विस्तार करेगी।
By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Wed, 05 Nov 2014 11:35 PM (IST)
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने को लेकर शिवसेना ने भाजपा को जो अगले तीन-चार दिनों तक की समयसीमा दी थी, उसको मानने से भारतीय जनता पार्टी ने साफ इंकार कर दिया है। भाजपा ने कहा है कि वह सदन में बहुमत साबित करने के बाद मंत्रिमंडल में विस्तार करेगी। हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने इस तरह के किसी भी अल्टीमेटम की जानकारी होने से इंकार किया है।
गौरतलब है कि राज्य के बदलते सियासी घटनाक्रम में शिवसेना ने भाजपा को अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि वह अपना रुख साफ करे कि वह उसे सरकार में सहयोगी बनाना चाहती है या नहीं। पार्टी स्पष्ट किया है कि वह उपमुख्यमंत्री पद को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी। इसके साथ ही उसने मांग की है कि विश्वास मत हासिल करने से पहले उसके दो मंत्री सरकार में शामिल किए जाएं। इसके लिए शिवसेना ने भाजपा को तीन चार दिनों की मौहलत दी थी, जिसे आज भाजपा ने सिरे से खारिज कर दिया। सूत्रों के अनुसार, शिवसेना ने भाजपा से कहा है कि 11 नवंबर यानि विश्वास मत हासिल करने से पहले आठ-नौ नवंबर तक वह अपना रुख स्पष्ट करे। सरकार में शामिल होने को लेकर दोनों पार्टियों में मंत्रियों की संख्या को लेकर खींचतान चल रही है। शिवसेना उपमुख्यमंत्री पद के साथ-साथ 10 मंत्री पद चाहती है जिसमें पांच कैबिनेट और पांच राज्यमंत्री शामिल हैं। वहीं भाजपा शिवसेना को चार कैबिनेट और चार राज्यमंत्री का पद देने के लिए तैयार है। शिवसेना का कहना है कि यदि उसे उपमुख्यमंत्री पद नहीं दिया गया तो उसे 12 मंत्री पद चाहिए। शिवसेना ने कहना है कि यदि आठ-नौ तारीख तक स्थिति साफ नहीं हुई तो वो फडणवीस सरकार का समर्थन नहीं करेगी। सूत्रों के मुताबिक अगर भाजपा ने इस बाबत कोई जवाब नहीं दिया तो शिवसेना विपक्ष में बैठेगी और सदन में अपने नेता का ऐलान कर देगी।
गौरतलब है कि 288 सदस्यीय विधानसभा में सहयोगी के साथ भाजपा के सदस्यों की संख्या 123 है जो बहुमत से 22 सीटें कम हैं। विधानसभा में शिवसेना के 62 सदस्य हैं। वहीं दूसरी ओर 44 सीटों के साथ तीसरे नंबर की पार्टी एनसीपी ने भाजपा सरकार को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान किया है। उसने कहा है कि वह विश्वास मत के दौरान सदन से बाहर रहेगी। लेकिन भाजपा एनसीपी का समर्थन लेने के पक्ष में नहीं है, क्योंकि उसके कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और पार्टी ने उस मुद्दे को चुनाव जोर-शोर से उठाया था।पढ़ें : सही दिशा में चल रही है शिवसेना से बातचीत