भाजपा को माकन से भी आस, बढ़ा सकते हैं 'आप' की मुश्किलें
दिल्ली के चुनावी दंगल में भाजपा और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को भले ही नकार दिया हो, लेकिन दोनों की नजरें कांग्रेस पर ही लगी है। भाजपा की आस अपनी मुख्यमंत्री उम्मीदवार किरण बेदी से ही नहीं कांग्रेस का चेहरा बने अजय माकन से भी है।
By manoj yadavEdited By: Updated: Thu, 22 Jan 2015 03:15 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली के चुनावी दंगल में भाजपा और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को भले ही नकार दिया हो, लेकिन दोनों की नजरें कांग्रेस पर ही लगी है। भाजपा की आस अपनी मुख्यमंत्री उम्मीदवार किरण बेदी से ही नहीं कांग्रेस का चेहरा बने अजय माकन से भी है।
विभिन्न सर्वे में दिख रही कांटे की टक्कर के बाद भाजपा की नजरें इस पर टिकी है कि कांग्रेस आप की ओर खिंचे दिख रहे मतदाताओं में कितना सेंध लगा पाती है। जबकि मजबूत कांग्रेस आप के लिए खतरा बन सकती है। दिल्ली में नई रणनीति के साथ उतरी भाजपा को इसका अहसास है कि महज 70 सीटों वाले विधानसभा में लड़ाई आसान नहीं होने वाली है। खासकर तब जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में पहले और दूसरे नंबर की पार्टी में सिर्फ तीन का फर्क था। आप को 'भगोड़ा' बताने के बावजूद लोकसभा चुनाव में आप का वोट फीसद बढ़ गया था। जाहिर तौर पर कांग्रेस और ज्यादा कमजोर हो गई थी। भाजपा नेताओं का मानना है कि इस बार की लड़ाई में कांग्रेस ही अहम भूमिका निभाएगी। दरअसल कांग्रेस ने भी अपना चेहरा बदल दिया है। अजय माकन की छवि अच्छी है और शीला दीक्षित से पलट उनके खिलाफ कोई सत्ताविरोधी लहर नहीं है। ऐसे में कांग्रेस से हताश वोटर अगर वापस कांग्रेस के साथ जुड़े तो आप की लड़ाई कमजोर हो सकती है।
ध्यान रहे कि पिछले विधानसभा चुनाव में आप को 29 फीसद वोट मिला था तो कांग्रेस ने भी 25 फीसद वोट पाया था। अकेले अल्पसंख्यक वोटरों में ही विभाजन हुआ तो आप के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। यही कारण है कि भाजपा चुनाव प्रचार में कांग्रेस पर बहुत हमलावर भी नहीं रहेगी।पढ़ेंः मुझे दिल्ली दा मुंडा ही नहीं, बिहारी बाबू भी कहिए