भाजपा के चार स्तंभ: नेतृत्व, सुशासन, विकास और राष्ट्रवाद
सुशासन और विकास के साथ-साथ नरेंद्र मोदी का नेतृत्व और राष्ट्रवाद भी भाजपा की राजनीतिक और चुनावी लड़ाई का मूल मंत्र रहेगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुशासन और विकास के साथ-साथ नरेंद्र मोदी का नेतृत्व और राष्ट्रवाद भी भाजपा की राजनीतिक और चुनावी लड़ाई का मूल मंत्र रहेगा। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के राजनीतिक प्रस्ताव में सबसे उपर नेतृत्व की ही चर्चा की गई। प्रस्ताव में कहा गया कि लंबे अंतराल के बाद एक दृढ़ सरकार का गठन हुआ है जो राष्ट्रवादी सोच और विकासवादी नीतियों के साथ आगे बढ़ रही है। कार्यकारिणी में महामंत्री रामलाल ने जहां संगठन की पूरी यात्रा का विवरण दिया वहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समेत अन्य तीन मंत्रियों ने प्रजेंटेशन पेश कर बताया कि सरकार की दिशा क्या है।
दो दिन की कार्यकारिणी में आर्थिक प्रस्ताव का रूप इस बार बदला हुआ था। उसका नाम इस 'ग्राम उदय से भारत उदय' दिया गया था। जबकि राजनीतिक प्रस्ताव में राष्ट्रवाद, गरीबी उन्मूलन, राष्ट्रीय सुरक्षा, दलित उत्थान जैसे कई मुद्दों को छुआ गया। राष्ट्रवाद के मुद्दे पर भाजपा का रुख आक्रामक ही रहेगा इसका संकेत पार्टी अध्यक्ष से लेकर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री तक हर किसी के भाषण मे दिखा। वहीं उनके भाषणों में और प्रस्तावों में जिस तरह बाबा साहेब अंबेडकर का वर्णन किया गया और उनसे जुड़े दिवस को उत्सव के रूप मे मनाने का फैसला लिया गया उससे भी स्पष्ट है कि पार्टी अब दलित नेता मायावती को टक्कर देने की तैयारी कर चुकी है। प्रस्ताव में पिछले दो सालों के अल्प कार्यकाल में गरीबों, किसानों, मजदूरों, महिलाओं और युवाओं पर केंद्रीय सरकार के नए प्रयासों की प्रसंशा की गई है। प्रस्ताव में कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा गया है कि विपक्ष 'गरीबी की राजनीति' करता है, वहीं भाजपा 'विकास की राजनीति' पर भरोसा करती है।
दो दिन की कार्यकारिणी के बारे में बताते हुए जहां गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री को लोकप्रिय और यशस्वी बताया वहीं सुबह राजनीतिक प्रस्ताव पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने मोदी को 'भारत को भगवान का वरदान और गरीबों का मसीहा' करार दिया।
दरअसल भाजपा के तरकस में पिछले दो साल में मोदी सरकार की उपलब्धियों के बेशुमार तीर हैं, जिनके सहारे विपक्ष की बोलती बंद की जा सकती है। प्रस्ताव में इनका जमकर इस्तेमाल भी किया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि कांग्रेस की नीति 'गरीबों के लिए भाषण और अमीरों के लिए काम करने' की रही है। मोदी सरकार जहां देश को आगे ले जाने का काम कर रही है, वहीं विपक्ष दल पीछे खींचने में लगे हुए हैं। जीएसटी समेत कई अहम विधेयक को पास नहीं होने देना इसका उदाहरण है।
दस दिन चलेगा अहम अभियान
14- 24 अप्रैल तक ग्रामोदय से भारत उदय समारोह
14-16 अप्रैल: सामाजिक समरसता दिवस
17-20 अप्रैल: हर गांव में किसान सभाएं, किसानों की समस्याओं का लिया जाएगा हाल, मांगे जाएंगे सुझाव, बताई जाएगी उपलब्धियां
21-24 अप्रैल: ग्राम सभा बैठकें: इस के तहत उन ग्राम पंचायतों को बताया जाएगा कि उन्हें सालाना 80 लाख रुपये मिलने वाले हैं। उसके उपयोग के बाबत लिए जाएंगे सुझाव, अधिकारी रहेंगे मौजूद
14 अप्रैल: प्रधानमंत्री बाबा साहेब अंबेडकर की जन्मस्थली मउ जाएंगे
24 अप्रैल: जमशेदपुर में पंचायत प्रतिनिधियों के सम्मेलन को प्रधानमंत्री करेंगे संबोधित, इसका प्रसारण देश के सभी पंचायतों में होगा