नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अब जबकि लोकपाल विधेयक का पारित होना लगभग तय माना जा रहा है तो भ्रष्टाचार के खिलाफ इस कानून को पारित कराने के श्रेय में भाजपा किसी से पीछे नहीं रहना चाहती। यही वजह है कि पार्टी विधेयक को बगैर किसी शर्त के समर्थन देने को तैयार हो गई है। भाजपा ने तो सरकार को अगले सोमवार को ही लोकपाल विधेयक को हर कीमत पर प
By Edited By: Updated: Sat, 14 Dec 2013 09:12 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अब जबकि लोकपाल विधेयक का पारित होना लगभग तय माना जा रहा है तो भ्रष्टाचार के खिलाफ इस कानून को पारित कराने के श्रेय में भाजपा किसी से पीछे नहीं रहना चाहती। यही वजह है कि पार्टी विधेयक को बगैर किसी शर्त के समर्थन देने को तैयार हो गई है। भाजपा ने तो सरकार को अगले सोमवार को ही लोकपाल विधेयक को हर कीमत पर पारित करवाने का सुझाव दिया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने तो यहां तक कहा है कि सरकार चाहे तो बगैर चर्चा के भी इस विधेयक को पारित करवाया जा सकता है। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने भी ट्वीट कर सरकार से बिना बहस इसे पारित कराने को कहा।
पढ़ें: कांग्रेस ने देश को धोखा दिया: वाम मोर्चा हालांकि कांग्रेस को समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी का रवैया लोकपाल विधेयक पर जस का तस बना हुआ है। पार्टी नेता व सांसद नरेश अग्रवाल ने धमकी दी है कि समाजवादी पार्टी किसी भी सूरत में इस विधेयक को पारित नहीं होने देगी। अगर जरूरी हुआ तो पार्टी इस मुद्दे पर संप्रग सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी ला सकती है। दूसरी तरफ वामपंथी दलों ने कहा है कि विपक्षी पार्टियां इस विषय पर सरकार का पक्ष ले रही है जबकि संप्रग में शामिल दल ही इसका विरोध कर रहे हैं। भाकपा सचिव डी राजा ने इसे कांग्रेस और उसे समर्थन देने वाले अन्य दलों के बीच नूरा कुश्ती करार दिया है और सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है। जेटली का कहना है कि 'यह जरूर है कि सरकार बाहरी दबाव में लोकपाल विधेयक को पारित करवाने की कोशिश कर रही है लेकिन भाजपा इसे समर्थन देने को तैयार है। अब सरकार को यह सुनिश्चित करना है कि संसद में इस विधेयक को मंजूरी मिल जाए। अगर सरकार अपने गठबंधन के दलों को नहीं मना पा रही है तो फिर भाजपा बगैर चर्चा के भी लोकपाल विधेयक को पारित करवाने को तैयार है।' सनद रहे कि एक दिन पहले ही भाजपा ने लोकपाल विधेयक को पारित करवाने के लिए चार शर्ते सामने रखी थी। लेकिन अब पार्टी का रुख बदल गया है।
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