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दिग्गजों की उम्मीदें टूटीं बगावत भी नहीं आई काम

भारतीय जनता पार्टी की अंतिम सूची ने जहां केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, वहीं टिकट के भरोसे भाजपा में शामिल हुए दूसरे दलों के कई नेताओं को निराशा हाथ लगी है। दूसरे दलों से आए कई दिग्गजों के नाम इसमें शामिल नहीं हैं। सूची को लेकर बगावत की आशंका जताई जा रही है।

By Edited By: Updated: Sun, 21 Sep 2014 08:36 AM (IST)
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चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। भारतीय जनता पार्टी की अंतिम सूची ने जहां केंद्रीय मंत्रियों व सांसदों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, वहीं टिकट के भरोसे भाजपा में शामिल हुए दूसरे दलों के कई नेताओं को निराशा हाथ लगी है। दूसरे दलों से आए कई दिग्गजों के नाम इसमें शामिल नहीं हैं। सूची को लेकर बगावत की आशंका जताई जा रही है।

भाजपा ने दूसरे दलों से आए दस बागियों को तो एडजेस्ट कर दिया, लेकिन बाकी दावेदारों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एकमात्र ऐसी दिग्गज नेता हैं, जो अपनी बहन वंदना शर्मा को सफीदो से टिकट दिलाने में कामयाब रही हैं। राज्यसभा के पूर्व सदस्य बीरेंद्र सिंह की सबसे अधिक किरकिरी हुई है।

हालांकि बीरेंद्र सिंह उचाना से अपनी पत्नी प्रेमलता को टिकट दिलाकर खुद चुनाव मैदान से अलग हो गए थे, लेकिन जींद या कैथल से वह टिकट के दावेदार थे। पार्टी ने उन्हें इन दोनों सीटों पर कोई भाव नहीं दिया। रक्षा राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह रेवाड़ी से अपनी बेटी आरती राव को, राजस्थान से भाजपा सांसद सुखबीर जौनापुरिया अपने बेटे अशोक जौनापुरिया को सोहना से और केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री कृष्णपाल गुज्जर अपने बेटे देवेंद्र चौधरी को तिगांव से टिकट दिलाना चाहते थे। सोनीपत के सांसद रमेश कौशिक अपने भाई देवेंद्र कौशिक को गन्नौर से, कुरुक्षेत्र के सांसद राजकुमार सैनी अपने भतीजे गुलशन सैनी को नारायणगढ़ से और अपने समधी पूर्व मंत्री बलबीर सैनी को पेहवा या थानेसर से टिकट दिलाने की जुगत में थे।

भिवानी के सांसद धर्मवीर अपने भाई राजबीर लाला को तोशाम से और अंबाला के सांसद रतनलाल कटारिया अपनी पत्नी बंतो कटारिया को किसी भी आरक्षित विधानसभा सीट से टिकट दिलवाने के लिए प्रयास कर रहे थे, मगर पार्टी ने इन सभी दिग्गजों के बजाय दूसरे दलों से आए बागियों को अधिक तरजीह दी है। इसके पीछे जिताऊ उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारने की सोच रही है, लेकिन पार्टी में विद्रोह की आशंका भी बनी हुई है।

भाजपा की राष्ट्रीय सचिव डॉ. सुधा यादव रेवाड़ी से, पूर्व विधायक नितिसेन भाटिया के बेटे संजय भाटिया पानीपत शहर से, महिला मोर्चा की नेता रोजी मलिक यमुनानगर से, पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता वीर कुमार यादव कोसली से, पूर्व विधायक नरेश मलिक, सुरेश पहलवान, रमेश नंबरदार व रमेश दलाल सभी बेरी से, भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष रेणुका भाटिया एनआइटी फरीदाबाद से, पूर्व केंद्रीय मंत्री आईडी स्वामी के बेटे राजेंद्र स्वामी इंद्री से टिकट की उम्मीद लगाए हुए थे।

अन्य दलों से टिकट की उम्मीद में जो लोग भाजपा में शामिल हुए थे, उनमें पूर्व मंत्री कांता देवी झज्जर से, पूर्व विधायक रेखा राणा घरौंडा से, पूर्व मंत्री सेठ श्रीकृष्ण दास के बेटे व हरियाणा की मंत्री सावित्री जिंदल के दामाद मनमोहन गोयल रोहतक से, पूर्व विधायक चंद्रभाटिया एनआइटी फरीदाबाद से टिकट की उम्मीद लगाए हुए थे, लेकिन पार्टी ने उन पर भरोसा नहीं जताया है।

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