आप का मनोबल तोड़ना चाहती है भाजपा
आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले होने जा रहे दिल्ली छावनी परिषद चुनाव को भाजपा बेहद महत्वपूर्ण मान रही है। पार्टी इस चुनाव में बड़ी जीत हासिल कर आप का मनोबल तोड़ना चाहती है। दूसरी ओर कांग्रेस भी अपनी खोई जमीन वापस पाने की जुगत में है
By Sudhir JhaEdited By: Updated: Sat, 13 Dec 2014 09:21 AM (IST)
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले होने जा रहे दिल्ली छावनी परिषद चुनाव को भाजपा बेहद महत्वपूर्ण मान रही है। पार्टी इस चुनाव में बड़ी जीत हासिल कर आप का मनोबल तोड़ना चाहती है। दूसरी ओर कांग्रेस भी अपनी खोई जमीन वापस पाने की जुगत में है। आप भी इन चुनावों में भाजपा को आसानी से जीत हासिल नहीं करने देगी।
आगामी चुनाव में होगा लाभ पार्टी का मानना है कि छावनी परिषद के चुनाव में जीत मिलने से भाजपा कार्यकर्ताओं के उत्साह में बढ़ोतरी होगी तथा दिल्ली में भाजपा के पक्ष में हवा भी बनेगी। इसका सीधा लाभ उसे आगामी विधानसभा चुनाव में मिलेगा। इसलिए पार्टी छावनी परिषद की सभी आठ सीटों पर अलग-अलग प्रभारी तैनात कर चुनाव की तैयारी में जुट गई है। पार्टी के करोलबाग जिले के प्रवक्ता अरुण गुप्ता का कहना है कि जिला अध्यक्ष राजन तिवारी ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय तथा नई दिल्ली की सांसद मीनाक्षी लेखी व अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ विचार-विमर्श कर चुनावी रणनीति तय की है। प्रत्येक मतदाता से संपर्क कर उन्हें भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करने की अपील की जा रही है। आप ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला
छावनी परिषद के आठ वार्डो में से छह पर भाजपा का तथा दो पर कांग्रेस का कब्जा है, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी के कारण यह मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। भाजपा नेताओं का भी कहना है कि नए समीकरण के हिसाब से चुनावी रणनीति बनाई गई है। पार्टी की कोशिश है कि अपने कब्जे वाले वार्डो में जीत का सिलसिला बरकरार रखते हुए कांग्रेस के कब्जे वाली वार्ड नंबर एक और वार्ड नंबर आठ में भी उसे जीत मिले। हालांकि, पार्टी के लिए सभी आठ सीटों पर जीत हासिल करना आसान नहीं है, क्योंकि यहां आप का भी अच्छा जनाधार है। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से आप के प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह ने भाजपा के कद्दावर नेता करण सिंह तंवर को पराजित किया था। इस बार भी आप ने सुरेंद्र सिंह को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया है और उन्होंने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है, इसका असर छावनी के चुनाव पर भी पड़ना तय है।