भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज का मुद्दा मंगलवार को भी विधान सभा और विधान परिषद में गर्म रहा। घटना को लेकर विधान सभा में भाजपा नेताओं के विरोध के बीच संसदीय कार्य मंत्री आजम खां ने भाजपाइयों की तुलना आतंकियों से कर दी। बोले, 'जिस तरह पार्लियामेंट पर आतंकियों ने हमला
By Edited By: Updated: Tue, 01 Jul 2014 10:54 PM (IST)
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज का मुद्दा मंगलवार को भी विधान सभा और विधान परिषद में गर्म रहा। घटना को लेकर विधान सभा में भाजपा नेताओं के विरोध के बीच संसदीय कार्य मंत्री आजम खां ने भाजपाइयों की तुलना आतंकियों से कर दी। बोले, 'जिस तरह पार्लियामेंट पर आतंकियों ने हमला किया था, सोमवार को वैसा हमला विधान सभा पर हुआ। विधान सभा और इसके सदस्य खतरे में हैं। विधान भवन के सामने से भाजपा का कार्यालय हटा दिया जाना चाहिए।' वह यहीं नहीं रुके। आरोप लगाया कि पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की भारत यात्रा के बाद चीनी चार रुपये प्रति किलो महंगी हो गई। भाजपा के लोग जिन्ना की कब्र पर माथा टेकते हैं और जिन्ना इनके आदर्श हैं।
उधर, विधान परिषद में विधान परिषद के सभापति गणेश शंकर पाण्डेय ने भाजयुमो कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज के मामले में काम रोक कर सदन स्थगित करने के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए सरकार को इसकी जांच उच्चाधिकारी से कराए जाने के निर्देश दिए हैं। भाजपा सदस्यों ने सरकार के बयान से असंतुष्ट होकर सदन का बहिर्गमन कर दिया।
कार्यवाही शुरू करने को विधान सभा अध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय जैसे आसन पर पहुंचे, इतने में संसदीय कार्यमंत्री आजम खां उठे और सोमवार को हुए भाजयुमो के प्रदर्शन के समाचारों की कटिंग दिखाते हुए कार्रवाई की मांग करने लगे। कहा कि राजनीतिक लक्ष्य पाने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं का विधान सभा पर हमला करना शर्मनाक था। प्रदर्शन की आड़ में ईट-पत्थर ही नहीं चले, बम भी फोड़े गए। हथियारों से लैस भाजपाई विधान भवन में घुस आते तो क्या होता? आजम खां के साथ पिछड़ा कल्याण मंत्री अम्बिका चौधरी और रामकरन आर्य भी खड़े होकर भाजपाइयों पर बरसे तो शोरशराबा शुरू हो गया। सपा और भाजपा सदस्यों में तीखी नोंकझोंक हुई। अंबिका चौधरी ने भाजपा दफ्तर में हथियारों का जखीरा होने और विधानभवन पर तेजाब की बोतलों और बमों से हमले का आरोप लगाया। इस पर भाजपा नेता सतीश महाना, राधामोहन दास, लोकेंद्र सिंह, सुरेश राणा, उपेंद्र तिवारी और रवि शर्मा आदि नारेबाजी करने लगे। महाना का आरोप था कि संसदीय कार्यमंत्री खुद सदन को अव्यवस्थित करने के लिए उकसा रहे है। शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने वाले युवाओं पर लाठीचार्ज किए जाने से हालात बिगड़े। मिर्ची बम फोड़ा गया तो हालात बेकाबू हो गए। महाना के बोलने से सत्ता पक्ष की ओर से हंगामा शुरू हो गया। 16 मिनट तक हालात बिगड़े रहने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने प्रश्नकाल दस मिनट के लिए स्थगित कर दिया और बाद में इसे बढ़ाकर तीस मिनट कार्यवाही बंद रखी। बाद में प्रश्न प्रहर चला लेकिन हंगामे का दूसरा दौर कार्यस्थगन के दौरान उस समय शुरू हुआ जब सतीश महाना आरोपों का जवाब देने लगे। बसपा ने भी सपा के सुर में सुर में मिलाया। स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजयुमो के प्रदर्शन के दौरान बम ब्लास्ट होने जैसे आरोप लगाते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला बताया। कहा कि भाजपा के लोग लोकतंत्र के मंदिर पर जूता फेंकते हैं। संसदीय कार्य मंत्री की आशंका पर सहमति जताते हुए विधानभवन के आगे धरना प्रदर्शन पर रोक को जायज ठहराया और भाजपा दफ्तर हटाने का पक्ष लिया।
आजम के भाजपा दफ्तर हटाने पर लगातार जोर देने पर स्पीकर ने कहा कि सरकार इस बाबत प्रस्ताव लाए तो संसदीय कार्य मंत्री ने सरकार का दामन बचाते हुए इच्छा जाहिर की कि इस बाबत पीठ से निर्देश मिले तो बेहतर होगा। इस पर पीठ ने भी चुप्पी साध ली। इधर, विधान परिषद में लाठीचार्ज के मुद्दे पर कार्यस्थगन के तहत भाजपा के हृदय नारायण दीक्षित, विनोद कुमार पाण्डेय और यज्ञदत्त शर्मा ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। नेता सदन अहमद हसन ने अपनी रिपोर्ट रखी, लेकिन भाजपा सदस्य संतुष्ट नहीं हुए। भाजपा दल नेता हृदयनारायण दीक्षित सरकार के मुकदमों के बारे में दृष्टिकोण जानना चाह रहे थे। पूछा कि क्या जिन लोगों को चोट लगी है, उनकी तरफ से भी एफआइआर दर्ज होगी। संतोषजनक उत्तर न मिलने पर भाजपा सदस्यों ने बहिष्कार किया।