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सरकार की जांच ढकोसला नहीं: एसआईटी प्रमुख

एसआईटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (रिटायर) एमबी शाह ने इस बात से इनकार किया है कि सरकारी जांच ढकोसला है।

By manoj yadavEdited By: Updated: Thu, 30 Oct 2014 07:47 AM (IST)
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नई दिल्ली। कालेधन पर बनी विशेष जांच टीम (एसआईटी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (रिटायर) एमबी शाह ने एक खबरिया चैनल से बातचीत में इससे इन्कार है कि सरकार की जांच महज एक ढकोसला है।

उन्होंने कहा, "यह ढकोसला नहीं है। इसमें कोई बहानेबाजी नहीं है। इसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे बहानेबाजी कहा जाए। इसके विपरीत हमलोगों को कुछ परिणाम भी मिले हैं।"

  • हम लोग कालाधन पर पहली रिपोर्ट अगस्त में ही सौंप चुके हैं। निश्चित रूप से मैं उम्मीद करता हूं कि दूसरी रिपोर्ट भी तय से (नवंबर तक) सौंप दी जाएगी।
  • बगैर जांच यह कहना बहुत कठिन है कि कोई व्यक्ति दोषी है या उस व्यक्ति ने कुछ भी गलत किया है। इसके लिए सबसे पहले उसका पक्ष सुनना होगा।
  • यह इसलिए आसान नहीं है क्योंकि जब कोई भी विभाग नोटिस जारी करता है तो उसमें समय लगता है। संबंधित पक्षों व आकलन करने वालों से जवाब मिलने में समय लगता है।
लंबे इंतजार के बाद बनी थी एसआईटी
  • जुलाई 2011 : सुप्रीम कोर्ट ने काला धन मामले की जांच का मामला अपने हाथ में लेते हुए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया था।
  • मार्च 2014 : शीर्ष अदालत ने एसआइटी गठन का आदेश वापस लेने की सरकार की दलील खारिज की। एलजीटी बैंक में भारतीय खातेदारों का नाम सार्वजनिक करने का आदेश दिया। जर्मनी ने ये नाम भारत को उपलब्ध कराए थे।
  • अप्रैल 2014 : सुप्रीम कोर्ट ने एलजीटी बैंक के 26 भारतीय खाताधारकों के नाम सार्वजनिक किए। इनमें मात्र 18 के खिलाफ मुकदमा चलाने की बात कही। यह भी कहा कि आठ के खाते कानून के तहत जायज हैं।
  • अप्रैल 2014 : शीर्ष अदालत ने 2011 के अपने आदेश का अनुपालन नहीं करने पर सरकार को फटकार लगाई। इसे अदालत की अवमानना बताया।
  • मई 2014 में मोदी सरकार ने काले धन पर एसआईटी का गठन किया।