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नए सिरे से बनी काले धन पर एसआइटी

सुप्रीम कोर्ट ने काला धन बाहर निकालने के पुख्ता इंतजाम कर दिए हैं। केंद्र सरकार के हथकंडों को दरकिनार कर कोर्ट ने काला धन रखने वालों पर नकेल कसने के लिए एसआइटी का गठन कर दिया।

By Edited By: Updated: Fri, 02 May 2014 01:44 AM (IST)
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नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने काला धन बाहर निकालने के पुख्ता इंतजाम कर दिए हैं। केंद्र सरकार के हथकंडों को दरकिनार कर कोर्ट ने काला धन रखने वालों पर नकेल कसने के लिए एसआइटी का गठन कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों को इसके अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाकर शीर्ष अदालत ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि एसआइटी के कामकाज में केंद्र सरकार का कोई दखल नहीं रह सकेगा। काले धन की जांच और निगरानी करने वाली इस एसआइटी में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अलावा विभिन्न महकमों के 11 आला अधिकारी भी होंगे। केंद्र सरकार को तीन सप्ताह के भीतर एसआइटी के गठन की अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया गया है।

न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बृहस्पतिवार को वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी की अर्जी पर सुनवाई के बाद काले धन पर एसआइटी का नए सिरे से गठन किया। जेठमलानी ने अर्जी में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद तीन साल से न तो केंद्र सरकार ने जर्मनी से प्राप्त लेचेस्टाइन के एलजीटी बैंक के खाताधारकों का ब्योरा उन्हें मुहैया कराया है और न ही अभी तक काले धन की जांच के लिए एसआइटी का गठन किया है। इस पर कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह लेचेस्टाइन के एलजीटी बैंक के 26 भारतीय खातेदारों के नाम और सारा ब्योरा तीन दिन के भीतर जेठमलानी को मुहैया कराए।

जेठमलानी की ही याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 4 जुलाई, 2011 को पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय एसआइटी के गठन का आदेश दिया था, लेकिन आज तक इसका गठन नहीं हो सका था। जस्टिस जीवन रेड्डी के अध्यक्ष बनने में असमर्थता जताए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को एसआइटी का पुनर्गठन किया। यह एसआइटी न सिर्फ भारत में काला धन रखने वालों के खिलाफ जांच और कार्यवाही करेगी बल्कि विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के खिलाफ भी जांच और कार्रवाई करेगी।

कोर्ट ने 4 जुलाई, 2011 के आदेश में ही स्पष्ट कर दिया था कि एसआइटी विदेश में काले धन के रूप में बड़ी रकम जमा करने के आरोपी हसन अली और उसके सहयोगी तापड़िया के अलावा उन सभी मामलों की भी दोबारा समीक्षा और जांच कर सकती है जिनके खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है। इसके अलावा एसआइटी काले धन की समस्या से निपटने के लिए समग्र कार्ययोजना तैयार करेगी। जिसके तहत ढांचागत तंत्र विकसित किया जाएगा ताकि काला धन देश के बाहर ले जाकर विदेशी बैंकों में न जमा कराया जा सके। एसआइटी सुप्रीम कोर्ट के तहत काम करेगी और काले धन की जांच में हुई प्रगति के बारे में समय-समय पर शीर्ष अदालत में रिपोर्ट दाखिल करेगी।

एसआइटी के सदस्य

अध्यक्ष - जस्टिस एमबी शाह (सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश)

उपाध्यक्ष - जस्टिस अरिजीत पसायत (सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश)

सदस्य - सचिव राजस्व विभाग

सदस्य - डिप्टी गवर्नर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया

सदस्य - आइबी डायरेक्टर

सदस्य - डायरेक्टर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)

सदस्य - सीबीआइ निदेशक

सदस्य - चेयरमैन सीबीडीटी

सदस्य - डीजी नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो

सदस्य - डीजी रेवेन्यू इंटेलीजेंस

सदस्य - डायरेक्टर फाइनेंसियल इंटेलीजेंस यूनिट

सदस्य - संयुक्त सचिव (एफटी एंड टीआर-आइ)

सदस्य - रॉ डायरेक्टर

कालेधन की जानकारी देने के पक्ष में नहीं स्विटजरलैंड

नई दिल्ली। भारत में स्विटजरलैंड के राजदूत लिनस वॉन केस्टरमूर ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनके यहां काला धन के बारे में जानकारी देने के बारे में एक तरह का राष्ट्रीय विरोध है। इसका कारण है कि ऐसी सूचना के स्रोत चुराए गए आंकड़े हैं।

राजदूत ने कहा कि भारत को कालेधन की सूचना देने के लिए समय सीमा तय करते समय उनके देश से सहानुभूति रखनी चाहिए।केस्टरमूर ने यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षो में स्विस बैंकिंग के नियमों में बदलाव आया है। उन्होंने कालेधन के मोर्चे पर भी कुछ बेहतर होने की उम्मीद जताई। उन्होंने बताया कि स्विस वित्त मंत्री ने पिछले साल सितंबर में चुराए हुए आंकड़ों के आधार पर डाटा पाने के लिए मानदंड सरल बनाने के लिए विधेयक पेश किया था। वह एक नया कानून था। दुर्भाग्य से वह पारित नहीं हो पाया। उसका भारी विरोध हुआ था।

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